राजस्थान कांग्रेस के इस संकट में पुवॅ मुख्यमंत्री बसुंधरा कि खामोशी क्यों?
देश का दपॅण न्यूज: गहलोत के कॉन्फिडेंस के पीछे वसुंधरा फैक्टर? राजस्थान के संकट पर चुप हैं महारानी कुबूल अहमद नई दिल्ली, 13 July, 2020 राजस्थान में कांग्रेस में जारी शह-मात के खेल में बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे खामोशी अख्तियार किए हुए हैं. बगावती तेवर अपनाने वाले पायलट ने अपने साथ 30 विधायकों का दावा किया है. इसके बावजूद अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने के लिए खास चिंतित नजर नहीं आ रहे हैं. गहलोत के कॉन्फिडेंस के पीछे वसुंधरा फैक्टर? राजस्थान के संकट पर चुप हैं महारानी सीएम अशोक गहलोत और बीजेपी नेता पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (फाइल फोटो) राजस्थान में गहलोत-पायलट में सियासी संग्रामराजस्थान के संकट पर बीजेपी नेता वसुंधरा चुप राजस्थान की कांग्रेस सरकार में उठा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच सुलह की गुंजाइश नहीं बची है, बल्कि लड़ाई आरपार की बन गई है. वहीं, कांग्रेस में जारी शह-मात के खेल में बीजेपी की कद्दावर नेता वसुंधरा राजे खामोशी अख्तियार किए हुए हैं. बगावती तेवर अपनाने वाले पायलट ने अपने साथ 30 विधायकों का दावा किया है. इसके बावजूद अशोक गहलोत अपनी सरकार बचाने के लिए खास चिंतित नजर नहीं आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि गहलोत के कॉन्फिडेंस के पीछे वसुंधरा राजे की खोमोशी का फैक्टर तो काम नहीं कर रहा है? बीजेपी में शामिल होने के अटकलों के बीच सचिन पायलट ने रविवार को दावा किया कि उनके साथ 30 से अधिक विधायक हैं और गहलोत सरकार अल्पमत में आ चुकी है. वहीं, दूसरी तरफ, कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि गहलोत सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है और अपना कार्यकाल पूरा करेगी. यही नहीं, राजस्थान में पायलट की बगावत को थामने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने व्हिप जारी करने का ब्रह्मास्त्र चला है. राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने दावा किया कि हमारे पास 109 विधायकों के समर्थन पत्र हैं.राजस्थान के राजनीतिक रण में कैसे विक्टिम से विलेन बने सचिन पायलट? राजस्थान में बदले सियासी माहौल में बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत और राज्यसभा सदस्य ओम माथुर ही खुलकर कांग्रेस नेता सचिन पायलट के साथ खड़े नजर आए हैं. वहीं, राजस्थान में बीजेपी की कद्दावर नेता व पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पिछले दो दिनों से साइलेंट रुख अख्तियार कर रखा है जबकि, सचिन पायलट के बीजेपी ज्वाइन करने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं. इसके बाद वसुंधरा राजे की खोमोशी को लेकर सवाल खड़े होने लगे थे. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी शनिवार और रविवार को सिर्फ दो ही ट्वीट किए जो राजनीति से परे रहे. विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में एसओजी की एफआईआर और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीजेपी पर तीखे प्रहार के जवाब में मीडिया भी दिनभर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जवाब का इंतजार करता रहा, लेकिन दो दिन गुजरने तक भी उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. उन्होंने सोमवार को धौलपुर से सचिन पायलट के पक्ष में एक बयान जारी करते हुए कहा कि सचिन के साथ अशोक गहलोत बुरा व्यवहार करते थे. उसके साथ अन्याय हुआ. CM गहलोत के करीबियों पर दिल्ली से राजस्थान तक आयकर के बाद ED की छापेमारी हालांकि, बीजेपी के दूसरे नेताओं की तरह से वसुंधरा राजे कोई राजनीतिक दखलअंदाजी करती नजर नहीं आ रही हैं. दरअसल, इसके पीछे राजनीतिक पंडितों की मानें तो इसके पीछे राजनीतिक गणित है. अशोक गहलोत और वुसंधरा राजे के पीछ अच्छी राजनीतिक कैमिस्ट्री है. कांग्रेस सरकार बनने के बाद गहलोत कभी वसुंधरा राजे के खिलाफ कोई बयानबाजी और टीका टिप्पणी करते नहीं दिखे हैं. इतना ही नहीं, वंसुधरा राजे भी गहलोत सरकार के खिलाफ पिछले डेढ़ साल में सड़क पर नहीं उतर सकी हैं. असोक गहलोत के सत्ता में आने के बाद वसुंधरा राजे के दौर में बने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को पद से नहीं हटाया था. इसे लेकर सचिन पायलट ने कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से शिकायत की तो गहलोत ने उन्हें मुख्य सचिव के पद से हटाकर राजनीतिक सलाहाकर नियुक्त कर लिया. बीडी गुप्ता को वसुंधरा का करीबी माना जाता है. इससे भी उनके राजनीतिक समीकरण को समझा जा सकता है. शर्मा कहते हैं कि गहलोत मंझे हुए राजनेता हैं, उन्हें इस तरह की राजनीतिक गणित को साधना बखूबी आता है. राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने बयान दिया है कांग्रेस सर्तक है और बीजेपी के हर कुचक्र का मुकाबला करने में सक्षम है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में पूरी पार्टी एकजुट है, कहीं कोई मन भेद नहीं है. वहीं, गहलोत के खेमे के विधायक राजेंद्र गुड्डु ने दावा किया कि कुछ बीजेपी के विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि हमारे जितने विधायक जाएंगे उससे ज्यादा विधायक हम बीजेपी से लाएंगे. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश जारी है. दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस सरकार के ऊपर छाए संकट के बादलों पर बीजेपी 'इंतजार करो और देखो' की मुद्रा में है. बीजेपी निर्णय लेने से पहले बीजेपी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शक्ति प्रदर्शन के परिणाम को देखना चाहती है. बीजेपी अभी पायलट की राजनीतिक हैसियत को नापना चाहती है और उसके बाद कोई फैसला लेगी. यही वजह है कि वसुंधरा राजे भी साइलेंट मोड में हैं. इसीलिए अशोक गहलोत काफी कॉन्फिडेंट नजर आ रहे हैं.
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