हनुमानगढ़: इथेनॉल फैक्ट्री विरोध भड़का — किसानों-पुलिस में झड़प, इंटरनेट निलंबित, विधायक घायल
राठीखेड़ा (टिब्बी), हनुमानगढ़, 11 दिसंबर 2025 — जिले के राठीखेड़ा गांव में बन रही अनाज-आधारित इथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में बुधवार को सैकड़ों किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने फैक्ट्री की चारदीवारी तोड़ी, पुलिस वाहन और अन्य संपत्ति में तोड़फोड़ की और कुछ वाहनों में आग भी लगा दी गई। प्रशासन ने इलाके में इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी और स्कूल-दुकानें बंद कर दीं; सुरक्षा बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया।
किसानों का कहना है कि यह 450 करोड़ रुपये की परियोजना — डेटाबेस और स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा — इस क्षेत्र की उपजाऊ जमीन और भूजल पर बुरा प्रभाव डालेगी। वे डरते हैं कि प्लान्ट का अपशिष्ट पानी और उत्सर्जन जमीन और जमीन के पानी को दूषित कर देगा और हजारों एकड़ कृषि भूमि बर्बाद हो सकती है। इन चिंताओं के चलते किसानों ने पिछले सालों से विरोध-प्रदर्शन और धरने किए हुए थे।
प्रतिरोध बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी रही कि स्थानीय मीडिया ने बताया है कि कंपनी का पर्यावरण मंजूरी (Environmental Clearance) का आवेदन 2022 से लंबित है, जबकि निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था — यह पारदर्शिता की कमी और प्रक्रिया संबंधी सवालों ने ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ाया है। किसान मांग कर रहे हैं कि या तो यह प्रोजेक्ट कम उपजाऊ/कम संवेदनशील ज़मीन पर स्थानांतरित किया जाए या परियोजना रद्द की जाए।
प्रदर्शन के समय कांग्रेस विधायक अभिमन्यू पूनिया भी महापंचायत में मौजूद थे; खबरों के अनुसार वह लाठीचार्ज में घायल हुए और प्राथमिक इलाज के लिए अस्पताल ले जाए गए। मौके पर कई पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी भी घायल हुए। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि करीब दर्जन भर अधिकारियों/कर्मियों को चोटें आईं और कई वाहनों में आग लगाई गई। प्रशासन ने स्थिति पर नियंत्रण के लिए तैनाती बढ़ाकर बातचीत शुरू करने की बात कही है।
कंपनी का जवाब — कंपनी प्रतिनिधियों ने कहा है कि प्लांट में आधुनिक तकनीक जैसे 'जीरो लिक्विड डिस्चार्ज' (Zero Liquid Discharge) अपनाई जाएगी और इससे स्थानीय रोजगार उत्पन्न होंगे; कंपनी और प्रशासन का कहना है कि परियोजना केंद्र के ईंधन-नीति (EBP) लक्ष्य में योगदान करेगी। बावजूद इसके, किसानों का भरोसा टूट चुका है और वे पारंपरिक कृषि-हित की रक्षा के लिए आंदोलित हैं।
स्थानीय नेताओं और किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन उनकी मांगों पर संतोषजनक लिखित आश्वासन या वार्ता नहीं देता तो आंदोलन और तेज हो सकता है। कुछ रिपोर्टों ने इस विरोध को पंजाब व हरियाणा के किसान संगठनों से भी समर्थन मिलने का संकेत दिया है, जिससे यह घटना क्षेत्रीय राजनीति और छोटे किसान-हित के मसले का रूप ले रही है।
क्या हुआ और क्यों? — सार:
विवाद की जड़: किसानों की पर्यावरण और जल-संसाधन संबंधी चिंताएँ, और यह धारणा कि परियोजना बिना जरूरी मंजूरी/परिचर्चा के आगे बढ़ी।
त्वरित परिणाम: फैक्ट्री साइट पर तोड़फोड़, वाहन आग, इंटरनेट निलंबन, स्कूल/बाजार बंद, भारी पुलिस तैनाती।
मांगें: परियोजना को हटाने या कम संवेदनशील क्षेत्र में स्थानांतरित करने, तथा पर्यावरण और पानी पर प्रभाव के स्वतंत्र सर्वे की माँग।
आगे क्या हो सकता है: प्रशासन ने कहा है कि बातचीत जारी है और कानून-व्यवस्था बनाये रखने के उपाय किए जा रहे हैं; वहीं किसान अपनी मांगों के साथ अड़े हुए दिखते हैं। यदि दोनों पक्ष जल्द मिलकर भरोसेमंद समाधान नहीं निकालते, तो स्थानीय तनाव बढ़ सकता है और परियोजना पर फिर से तीव्र विरोध शुरू होने की संभावना है।
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