उम्मीद पोर्टल का सर्वर चार दिनों से डाउन, लाखों वक्फ हितधारक परेशान; विपक्ष ने सरकार से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की
उम्मीद पोर्टल का सर्वर चार दिनों से डाउन, लाखों वक्फ हितधारक परेशान; विपक्ष ने सरकार से डेडलाइन बढ़ाने की मांग की
**नई दिल्ली, 4 दिसंबर 2025 (स्पेशल रिपोर्ट)**: अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा जून 2025 में लॉन्च किए गए 'उम्मीद पोर्टल' (एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास) का सर्वर पिछले चार दिनों से लगातार डाउन होने के कारण देशभर के वक्फ बोर्डों और हितधारकों में भारी असंतोष व्याप्त है। इस पोर्टल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के डिजिटल पंजीकरण, प्रबंधन और निगरानी को पारदर्शी बनाना है, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी तरह ठप हो चुकी है। विपक्षी दलों ने सरकार से रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि (5 दिसंबर) को आगे बढ़ाने की मांग की है, ताकि लाखों प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके।
पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों—जिनमें मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान और अन्य धार्मिक-चैरिटेबल संपत्तियां शामिल हैं—का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया था। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा 6 जून 2025 को लॉन्च किए गए इस प्लेटफॉर्म को 'यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट' के तहत विकसित किया गया है। इसका लक्ष्य देशभर की वक्फ संपत्तियों (लगभग 8.7 लाख एकड़ भूमि और हजारों इमारतें) का केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार करना है, जिससे विवादों को कम किया जा सके और पारदर्शिता बढ़े। हालांकि, लॉन्च के छह महीने बाद ही सर्वर की विफलता ने सरकारी डिजिटलीकरण अभियान पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर #FixUMEEDPortal और #SaveWaqf जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा, "पूरे देश में सर्वर डाउन है। सरकार कृपया जिद न पाले और जनता की आवाज सुने। संसद में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए बिल लाए जाने का दावा किया गया था, ऐसे में 5 दिसंबर से डेट आगे बढ़ाई जाए।" प्रतापगढ़ी के इस पोस्ट को हजारों व्यूज मिल चुके हैं, जबकि कांग्रेस के अन्य नेताओं जैसे खान महमूद, नजर फरीदी और तरन्नुम खान ने भी इसी मुद्दे पर आवाज बुलंद की है।
सांझा टीवी न्यूज चैनल ने एक रिपोर्ट में बताया कि "उम्मीद पोर्टल का सर्वर डाउन होने से वक्फ प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में भारी परेशानी हो रही है।" इसी तरह, पत्रकार वसीउद्दीन सिद्दीकी ने एक्स पर पोस्ट किया, "आखिर ये सर्वर कब सही होगा? अगर समस्या सॉल्व नहीं हो रही, तो रजिस्ट्रेशन की डेट आगे बढ़ाई जाए।" प्रभावित यूजर्स का कहना है कि बार-बार लॉगिन करने की कोशिश में सिस्टम क्रैश हो जा रहा है, जिससे छोटे-मोटे वक्फ ट्रस्टों के मालिक सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। एक अनुमान के मुताबिक, केवल उत्तर प्रदेश और बिहार में ही 50,000 से अधिक रजिस्ट्रेशन लंबित हैं।
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सर्वर पर अचानक बढ़े ट्रैफिक के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है, और तकनीकी टीम रात-दिन काम कर रही है। हालांकि, आधिकारिक बयान में डेडलाइन बढ़ाने की कोई घोषणा नहीं की गई। विपक्ष ने इसे "डिजिटल इंडिया की पोल खोलने वाला" करार दिया है, जबकि सरकार समर्थक इसे अस्थायी खराबी बता रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे पोर्टलों के लिए बैकअप सिस्टम मजबूत होने चाहिए, जैसा कि पासपोर्ट सेवा पोर्टल की जून 2025 में हुई विफलता से सबक लिया जा सकता था।
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवाद पहले से ही अदालतों में लंबित हैं। यदि डेडलाइन न बढ़ी, तो कई संपत्तियां रजिस्ट्रेशन से वंचित रह सकती हैं, जिससे कानूनी जटिलताएं बढ़ेंगी। अल्पसंख्यक समुदाय के संगठनों ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। फिलहाल, यूजर्स को सलाह दी जा रही है कि वे स्थानीय वक्फ बोर्ड कार्यालयों से संपर्क करें, लेकिन पोर्टल बहाल होने तक राहत की कोई निश्चित समयसीमा नहीं है।
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