मिशन 2030 की कार्य योजना में जन घोषणा पत्र- 2018 के वादे को पूरा करने की मांग
मिशन 2030 की कार्य योजना में जन घोषणा पत्र- 2018 के वादे को पूरा करने की मांग
जयपुर, 5 सितंबर। राज्य सरकार के मिशन 2030 को लेकर कार्मिक सचिव द्वारा आमंत्रित हित धारक परामर्श कार्यक्रम में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने 2030 की कार्य योजना से पूर्व मिशन "सितंबर 2023" का कार्यक्रम तय करने की मांग की । राठौर ने कहा कि राज्य सरकार के पास अब कुछ करने के लिए बहुत कम समय शेष है और जन घोषणा पत्र 2018 के वादे अभी अधूरे हैं । ऐसे में 2030 की परिकल्पना का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा की जन घोषणा पत्र 2018 में कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने का वादा किया गया था। लेकिन वेतन विसंगतियों के लिए गठित खेमराज कमेटी और सामंत कमेटी के रिपोर्ट को सरकार ने आज तक सार्वजनिक नहीं किया है जबकि दोनों कमेटियों की रिपोर्ट सरकार के पास है। इसी तरह संविदा कर्मियों सहित सभी ठेकाकर्मियों और अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने का भी घोषणा पत्र में वादा किया गया था। लेकिन उस वादे को भी सरकार ने पूरा नहीं किया है। केवल राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स- 2022 बनाकर इतिश्री कर ली है। इस रूल्स के मुताबिक कर्मचारी नियमित कर्मचारियों के बजाय कांट्रेक्चुअल नियमित कर्मचारियों के रूप में अलग से पहचाने जाएंगे और उनके वेतनमानों में भी नियमित कर्मचारियों की तुलना में काफी भिन्नता होगी।
राठौड़ ने कहा कि जिन संगठनों के साथ समझौता वार्ताएं हो चुकी हैं उनकी क्रियान्वित की कार्रवाई शीघ्र की जावे।
2030 के कार्य योजना में कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए राठौड़ ने कर्मचारी कल्याण बोर्ड के शीघ्र गठन की मांग की। इसके अलावा चयनित वेतनमान का लाभ 9, 18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष पर पदोन्नति पद के समान करने एवं पदनाम परिवर्तन सहित सेवा नियम बनाने की भी मांग की।
वार्ता में राज्य सरकार की ओर से कार्मिक विभाग के सचिव हेमंत गेरा एवं अन्य अधिकारियों ने भाग लिया वहीं महासंघ की ओर से प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ के अलावा मुख्य महामंत्री राजेंद्र प्रसाद शर्मा संयुक्त महामंत्री ओम प्रकाश चौधरी एवं सर्वेश्वर कुमार शर्मा ने भाग लिया।
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