निभॅया केस मेरा गुनाहगारों की क्यूरेटिव पिटीशन मंजूर, फाँसी से 8 दिन पहले 14 जनवरी को सुनवाई ।


www.deshkadarpannews.com.    निर्भया केस / सुप्रीम कोर्ट में 2 गुनहगारों की क्यूरेटिव पिटीशन मंजूर, फांसी से 8 दिन पहले 14 जनवरी को सुनवाई अदालत ने सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया है। अदालत ने सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया है। दोषी विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को फांसी दिए जाने की तारीख 22 जनवरी तय की है। देशकादपॅण.न्यूज,   Jan 11, 2020,  नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप के चार गुनहगारों में से विनय कुमार शर्मा और मुकेश सिंह ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी,जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला लिया। जस्टिस एनवी रमना, अरुण मिश्रा, आरएफ नरीमन, आर. भानुमति और अशोक भूषण की बेंच 14 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई करेगी। इससे पहले, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को निर्भया के चारों दुष्कर्मियों अक्षय ठाकुर (31), पवन गुप्ता (25), मुकेश सिंह (32) और विनय शर्मा (26)के खिलाफ डेथ वॉरंट जारी किया था। अदालत ने सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी देने का आदेश दिया है। चारों गुनहगारों ने कोर्ट के फैसले के बाद क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने की बात कही थी। वहीं, एक एनजीओ ने निर्भया के दोषियोंसे मिलने की अनुमति मांगी थी ताकि दोषियों को अंगदान हेतु प्रेरित कर सके। दिल्ली की अदालत ने शुक्रवार को यह याचिका खारिज कर दी थी। याचिका के मुताबिक,वे समाज कल्याण के लिए दोषियों को अंगदान के लिए प्रेरित करना चाहते हैं,ऐसे में उन्हें दोषियों से मिलने दिया जाए। कोर्ट ने कहा था कि दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी हुआ है। ऐसे में उनसे परिवार का एक सदस्य और वकील के अलावा कोई नहीं मिल सकता। निर्भया केस में वारदात के 2578 दिन बाद डेथ वॉरंट जारी हुआ था चारों दोषियों को जेल नंबर 3 में फांसी दी जाएगी। तीन दोषी जेल नंबर 2 में रखे गए हैं और एक को जेल नंबर 4 में रखा गया है। निर्भया के केस में वारदात के 2578 दिन बाद डेथ वॉरंट जारी हुआ था। 16 दिसंबर 2012 को निर्भया गैंगरेप का शिकार हुई थी। नौ महीने बाद यानी सितंबर 2013 में निचली अदालत ने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। मार्च 2014 में हाईकोर्ट और मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी थी।            www.deshkadarpannews.com.                                                   

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