पृथ्वीराज चौहान को लेकर उलझा समाज ।


देशकादपॅण.न्यूज;
  पृथ्वीराज चौहान को लेकर उलझा समाज, जाति और इतिहास! राजपूत और गुर्जरों में छिड़ा संग्राम। Desh Ka Darpan; 05 Jan 2020, पृथ्वीराज चौहान को लेकर उलझा समाज, जाति और इतिहास! राजपूत और गुर्जरों में छिड़ा संग्राम गुर्जर समाज ने ये दावा किया है कि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर थे जबकि राजपूत समाज का तर्क है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे. ऐसे में दोनों जातियों के बीच छिड़े विवाद के बाद राजस्थान में नया संग्राम शुरू हो गया है।                                                            जयपुर: राजस्थान में बॉलीवुड फिल्मों पर संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है. पद्मावत और पानीपत के बाद अब पृथ्वीराज चौहान फिल्म पर संग्राम छिड़ गया है. राजपूत और जाटों के बाद अब गुर्जरों ने भी हुंकार भर ली है. पृथ्वीराज फिल्म को लेकर राजपूत और गुर्जर समाज आमने सामने आ गए हैं. गुर्जर समाज ने ये दावा किया है कि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर थे जबकि राजपूत समाज का तर्क है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे. ऐसे में दोनों जातियों के बीच छिड़े विवाद के बाद राजस्थान में नया संग्राम शुरू हो गया है. पृथ्वीराज चौहान फिल्म यशराज बैनर के तले बनाई जा रही है. अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने पृथ्वीराज चौहान को गुर्जर बताया है. महासभा का ये दावा है कि पृथ्वीराज चौहान में इतिहास के साथ छेड़छाड़ हो रही है. पृथ्वीराज चौहान राजपूत नहीं गुर्जर थे. इतिहासकार कर्नल टॉड ने इतिहास के तथ्य और अर्थों को छिपाकर इतिहास से छेड़छाड़ की है. कर्नल टॉड ने पृथ्वीराज चौहान को राजपूत बनाकर इतिहास में बताया है जबकि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर समाज से संबंध रखते थे, जो कि गुर्जर महासभा इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. इतिहास में हुई छेड़छाड़ में सुधार कर पृथ्वीराज चौहान को गुर्जर सिद्ध करने की सरकार से गुर्जर महासभा मांग कर रही है जबकि दूसरी ओर राजस्थान राजपूत सभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह लोटवाडा का कहना है कि गुर्जर समाज को 2 हजार साल बाद याद आ रहे हैं कि पृथ्वीराज चौहान गुर्जर थे. वीर गुर्जर महासभा के सारे दावे गलत हैं. इतिहास जानता है कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत ही थे. गुर्जरों ने इस आधार पर किया दावा गुर्जरों का मानना है कि अजमेर का चौहान राजवंश उन चारों राजवंशों में शामिल था, जो कि प्रतिहार, परमार, सोलंकी और चौहान राजवंशों में शामिल था. अजमेर के चौहान राजवंश से ही बगड़ावत गाथा का लिंक है, जिसे गुर्जर अपना अराध्य देव मानते हैं भगवान देवनारायण को. अजमेर चौहान राजवंश से संबंध रखता है. राज्य स्तरीय पाठयक्रम में संशोधित कर इतिहास को दिखाया दर्शाया जाए. बगड़ावत गाथा, पृथ्वीराज विजय, पृथ्वीराज रासा और विदेशी लेखक जेकसेन, एएफ हारले सभी लेखक किताबों में पृथ्वीराज चौहान के गुर्जर होने के सबूत है जबकि दूसरी ओर राजपूत महासभा के अध्यक्ष गिर्राज सिंह का कहना है कि सिनेमा ने हमारे समाज को बिगाड़ दिया है. विदेशी ताकतें धर्म के बाद अब जातियों को बांटने का काम कर रही हैं. किताब में मिले गुर्जर होने के प्रमाण पृथ्वीराज विजय में लिखा है कि पृथ्वीराज के दरबार में कवि थे. ये कवि मूलरूप से कश्मीरी थे. कवि ने पुस्तक में जगह-जगह पृथ्वीराज के लिए गुर्जर शब्द का प्रयोग किया है. वहीं पृथ्वीराज चौहान के किले-दुर्ग के लिए गुर्जर शब्द उपयोग करते लिखा है कि गुर्जरों द्वारा गौरी को पराजित करने का लिखा है. पृथ्वीराज चौहान के राज्य को गुजरात्रा भी कहा जाता था.इतिहासकार अलबेरूनी ने लिखा है कि गुजरात्रा का अर्थ गुर्जरों द्वारा रक्षित राज्य गुजरात कहलाया. वहीं गुर्जरों का पंजाब, कन्नौज, अफगानिस्तान तक पृथ्वीराज चौहान का राज्य था लेकिन इतिहासकार कर्नल टॉड ने इतिहास बदल दिया. तथ्यों और अर्थों को छिपा दिया. वह लोग देश और संस्कृति को बचाने के लिए अपने आप को समाप्त कर दिया. अब ऐसे में सिनेमा में एक बार फिर समाज, जाति और इतिहास उलझ गया है. ऐसे में अब देखना यह होगा कि दोनों जातियों के बीच नया विवाद कब सुलझ पाएगा.                www.deshkadarpannews.com.                                                           

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