केंद्र सरकार ने लिया दो फैशला, AC का डिफाॅल्ट तापमान 24 डिग्री सेल्सियस सेट किया और कागज दोनों तरफ इस्तेमाल करने का लिया निणॅय ।
www.deshkadarpan.news. सरकर ने लिए दो फैसले / केंद्र ने एसी का डिफॉल्ट तापमान 24 डिग्री सेट किया, सुप्रीम कोर्ट में कागज का दोनों तरफ इस्तेमाल करने का निर्णय एसी का तापमान 24 डिग्री पर सेट करने से 82 लाख टन कार्बन उत्सजर्न 1 साल में कम होगा। एसी का तापमान 24 डिग्री पर सेट करने से 82 लाख टन कार्बन उत्सजर्न 1 साल में कम होगा। 24 डिग्रीपर एसी चलाने से 10 हजार करोड़ की बिजली बचेगी,1 डिग्री तापमानबढ़ाने से6% बचत अपने प्रशासनिक कार्य में कागज बचाने का निर्देश सुप्रीमकोर्ट ने सीएसएससीकी याचिका पर दिया आदेश । Jan 19, 2020, देशकादपॅण.न्यूज; नई दिल्ली.देश में हाल ही में दो महत्वपूर्ण फैसले हुए। इनसे आर्थिक बचत के साथ-साथ पर्यावरण भी बेहतर होगा। पहला केंद्र सरकार के द्वारा एयर कंडीशनर (एसी) के लिए डिफॉल्ट तापमान 24 डिग्री तय किया गया। दूसरा, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही अपने प्रशासनिक कार्यों के लिए कागज का दोनों तरफ इस्तेमाल करने के लिए कहा है। पॉवर मिनिस्ट्री के अनुमान के मुताबिक देश में कुल जितनी घरेलू बिजली का प्रयोग होता है, उसका 30 से 40 फीसदी एसी में प्रयोग हो रहा है। इस फैसले के बाद सरकार को 10 हजार करोड़ रुपए बचत का अनुमान है। वहीं कागज बचाने का निर्देश कोर्ट ने थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (सीएसएससी) की याचिका पर दिया है। वहीं दूसरी ओर ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफीसिऐंसी (बीईई) के डायरेक्टर जनरल अभय बाकरे के अनुसार हमने एक जनवरी से इसलिए एसी के डिफॉल्ट 24 डिग्री तापमान रखने का नियम बनाया है क्येांकि इसी समय एसी का निर्माण होता है। डिफॉल्ट 24 डिग्री का नियम इसलिए बनाया है क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए और आर्थिक दृष्टि से भी फायदे मंद है। कंप्रेसर लगातार 18 डग्री या इससे कम पर चलने से ज्यादा बिजली खर्च होती है। एसी में डिफॉल्ट सेटिंग 24 डिग्री की होगी फिर उपभोक्ता चाहे तो उसे इससे कम या ज्यादा कर सकता है। सीएसएससी के वकील विराग गुप्ता के अनुसार सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ही याचिकाओं की सुनवाई में अगर कागज का दोनों ओर इस्तेमाल हो तो करीब 2,953 पेड़ प्रतिवर्ष बचेंगे। ये फायदे तभी मिलेेंगे, जब केंद्र और राज्य दोनों नियमों को लागू कर देंगे। वहीं, आईपीएमए के सेक्रेटरी जनरल रोहित पंडित के अनुसार देश में यह भ्रम है कि जंगलों को काटकर पेपर बनाया जा रहा है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। 75 फीसदी कागज तो रीयूज पेपर और बगास व वीट स्ट्रॉ आदि से बनाया जा रहा है। सिर्फ 25 फीसदी पेपर के लिए ही लकड़ी का उपयोग होता है। वह लकड़ी भी एग्रा फोरस्ट्री की होती है जिसे किसान उगाते हैं। पेपर इंडस्ट्री जितना पेड़ प्रयोग करती है उससे कहीं अधिक उगाती है। इसीलिए अभी हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा बताया गया था कि देश में नॉन फोरेस्ट एग्री एरिया बढ़ रहा है। पर्यावरणविद सीमा जावेद के मुताबिक फोटो कॉपी में प्रयोग होने वाला कागज (कॉपियर पेपर) की 8,333 शीट्स बनाने के लिए एक पेड़ की आवश्यकता होती है। एक किलो कागज बनाने (सल्फेट पल्पिंग प्रोसेस से) में करीब दो किलो लकड़ी का उपयोग किया जाता है। वहीं इंडियन पेपर मेन्यूफेक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) के अनुसार देश में वर्तमान में 1.5 करोड़ टन कागज की खपत है। जिसके 12 फीसदी वार्षिक की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह 2024-25 तक बढ़कर 2.4 करोड़ टन हो जाएगा। राइटिंग और प्रिंटिंग पेपर (पैकेजिंग पेपर, बॉर्ड पेपर व न्यूज पेपर को छोड़कर) की खपत देश में वर्ष 2018-19 में 54 लाख टन थी। यह 4-5 % वार्षिक बढ़ रही है। अगर 70 जीएसएम ए-4 साइज के पेपर को आधार माना जाए तो देश में प्रतिवर्ष करीब 1.24 लाख करोड़ कागज का प्रयोग राइटिंग और प्रिंटिंग के लिए हो रहा है। एसी का तापमान 1 डिग्री बढ़ाने से बचती है 6% बिजली 25% बिजली बचेगी 24 डिग्री एसी का तापमान सेट करने से। 82 लाख टन कार्बन उत्सजर्न 1 साल में कम होगा, यदि सभी एसी 24 डिग्री पर चलाए जाएं। गर्मियों के समय कमर्शियल, रिहायशी इमारतों में एसी का प्रयोग करने से 50 फीसदी अधिक बिजली खर्च होती है। बीईई के अनुमान के मुताबिक एसी का एक डिग्री तापमान बढ़ाने से छह फीसदी बिजली की बचत होती है। एसी 18-21 डिग्री पर चलाने से नाक की नली सिकुड़ने लगती है। सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन हो सकती है। तो सुप्रीम कोर्ट में ही बचेंगे हर साल 2.4 करोड़ पेज 1.5 करोड़ टन कागज की खपत है देश में। 6-7 बार कागज री-साइकिल किया जा सकता है। 38% कागज ही री-साइकिल हो पाता है। सुप्रीम कोर्ट में ही अगर याचिकाओं की सुनवाई में कागज का दोनों ओर इस्तेमाल होने लगे तो प्रतिवर्ष करीब 2.4 करोड़ पेज की बचत होगी। यानी करीब 2953 पेड़। वहीं हाईकोर्ट और जिला अदालतों में यह नियम लागू होता है तो हर माह 22.5 करोड़ पेज बचेंगे। यानी 27 हजार पेड़। इससे 225 करोड़ लीटर पानी भी बचेगा। www.deshkadarpannews.com.
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