यूरोपीय संघ ने नागरिकता कानुन के खिलाफ प्रस्ताव लाया।


www.deshkadarpannews.com. यूरोपीय संघ / 150 सांसद नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाए, भारत ने कहा- यह हमारा आंतरिक मामला यूरोपीय संसद। -फाइल फोटो यूरोपीय संसद। -फाइल फोटो यूरोपीय संघ के सांसदों ने सीएए के खिलाफ 5 पन्नों का प्रस्ताव तैयार किया, धार्मिक भेदभाव का आरोप लगाया सांसदों ने कहा कि नया कानून अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का उल्लंघन करता है DeshkaDarpanNews. Jan 27, 2020,  लंदन. यूरोपियन पार्लियामेंट (यूरोपीय संसद) के 150 से ज्यादा सांसदों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ तैयार प्रस्ताव किया है। इसमें कहा गया कि इससे भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव हो सकता है। इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग स्टेटलैस यानि बिना नागरिकता के हो जाएंगे। उनका कोई देश नहीं रह जाएगा। सांसदों की तरफ से तैयार पांच पन्नों के प्रस्ताव कहा गया कि इसे लागू करना दुनिया में बड़े मानवीय संकट को जन्म दे सकता है। इस पर भारत ने कहा कि सीएए हमारा आंतरिक मामला है। सीएए संबंधीप्रस्ताव पर बहस होने से पहले सरकार के सूत्रों ने कहा है कियूरोपीय संसदको लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए सांसदों के अधिकारों पर सवाल खड़े करने वाली कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। इधर, भारत आए यूरोपीय संघ के सदस्यों ने कहा- यूरोपीय संसद एक स्वतंत्र संस्था है। काम और बहस के मामले में इसे स्वायत्तता हासिल है। सीएए पर प्रस्ताव का मसौदा संसद के राजनीतिक समूहों ने तैयार किया है। ‘नागरिकता कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ’ सांसदों ने प्रस्ताव में आरोप लगाया कि भारत सरकार द्वारा लाया गया यह कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। यह कानून धार्मिकता के आधार पर भेदभाव करता है। ऐसा करना मानवाधिकार और राजनीतिक संधियों की भी अवमानना है। इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समझौते के अनुच्छेद-15 का भी उल्लंघन बताया गया, जिस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया था। इस पर बुधवार को बहस होगी। इसके एक दिन बाद वोटिंग की जाएगी। सांसदों का आरोप- भारत सरकार ने विरोध में उठी आवाज दबाई यूरोपीय सांसदों के इस प्रस्ताव में भारत सरकार पर भेदभाव, उत्पीड़न और विरोध में उठी आवाजों को चुप कराने का आरोप लगाया गया है। वहीं, इसमें कहा गया कि नए कानून से भारत में मुस्लिमों की नागरिकता छीनने का कानूनी आधार तैयार हो जाएगा। साथ ही, नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के साथ मिलकर सीएए कई मुस्लिमों को नागरिकता से वंचित कर सकता है। सांसदों ने यूरोपीय संघ से इस मामले में दखल देने की मांग भी की।  www.deshkadarpannews.con.                                               

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