पूवॅ CjI रंजन गोगोई ने कहा आधा दॅजन लोगों का गैंग जजों को देता है फिरौती ।


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        आधा दर्जन लोगों का गैंग जजों को देता है फिरौती, सांसद बनते बोले पूर्व CJI रंजन गोगोई  पूर्व सीजेआई गोगोई ने दर्जन लोगों की "लॉबी" के बारे में बात की, जो जजों को फिरौती देते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इस लॉबी का गला नहीं घोटा जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती। देशकादपॅण.न्यूज,       दिल्ली | Updated: March 21, 2020  आधा दर्जन लोगों का गैंग जजों को देता है फिरौती, सांसद बनते बोले पूर्व CJI रंजन गोगोई देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई।  कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के बीच देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा की सदस्यता की शपथ ली। शपथ लेने के कुछ घंटों के बाद, भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आधा दर्जन लोगों का गैंग जजों को फिरौती देता है। पूर्व सीजेआई गोगोई ने दर्जन लोगों की “लॉबी” के बारे में बात की, जो जजों को फिरौती देते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इस लॉबी का गला नहीं घोटा जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती।  जनवरी 2018 की सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य न्यायाधीशों के साथ अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस और शहीन बाग के बारे में बात करते हुए पूर्व सीजेआई ने इस बात का खुलासा किया है। इसी के साथ उन्होंने इस दावे को खारिज कर दिया कि संसद के ऊपरी सदन के लिए उनका नामांकन किसी तरह का एहसान या तोहफा नहीं था।Deshkadarpannews.com.  पूर्व CJI रंजन गोगोई ले रहे थे राज्यसभा में शपथ, विरोधी लगा रहे थे शेम शेम के नारे, विपक्षी सांसदों का सदन से वॉकआउट बीजेपी सांसदों की तरह गौमूत्र का बखान करने लगे कांग्रेस सांसद, राज्यसभा में सुनाई गौमूत्र से कैंसर ठीक होने की कहानी हालांकि पूर्व चीफ जस्टिस ने यह नहीं बताया कि वो कौन सी लॉबी है जो न्यायपालिका में फिरौती देती है? रंजन गोगोई ने आगे कहा कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब है ऐसी लॉबी की पकड़ को तोड़ना। जब तक इस लॉबी को तोड़ा नहीं जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती। अगर कोई केस उनके मनमुताबिक नहीं चलता तो वो फिरौती देकर केस को रुकवा देते हैं। वो जजों को हर संभव रास्ते से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।’ गोगोई ने कहा कि जजों के लिए उनके मन में एक डर है। जज ये लॉबी नहीं चाहते और शांति से रिटायर होना चाहते हैं। अयोध्या और राफेल केस का निर्णय सरकार के पक्ष में गया था। जिसके बाद उनका नामांकन राज्यसभा के लिए किया गया। इसपर लोगों ने गोगोई पर आरोप लगाए थे कि ये नमकन सरकार द्वारा दिया गया एक तोहफा है। इसपर गोगोई ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है उन्हें बदनाम किया गया क्योंकि उन्होंने लॉबी को ललकारा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या और राफेल निर्णय सर्वसम्मत थे। आप अगर इस तरह के आरोप लगाएंगे तो आप इन दो निर्णयों में शामिल सभी न्यायाधीशों की अखंडता पर सवाल उठा रहे हैं।                          www.deshkadarpannews.com.                     पूर्व CJI रंजन गोगोई ने बताया, क्यों स्वीकार किया राज्यसभा?       गोगोई ने पत्रकार     के सवाल के जवाब में कहा कि सविंधान के आर्टिकल 80 के तहत राष्ट्रपति को लगा कि मुझे राज्यसभा सदस्यता से सम्मानित किया जाना चाहिए। और जब सम्मान मिल रहा हो तो स्वाभाविक है कि आप उसे लेने से इनकार नहीं कर सकते। राज्यसभा सांसद जस्टिस रंजन गोगोई। नई दिल्ली देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राज्यसभा की सदस्यता को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह सरकार की तरफ से मिला कोई उपहार नहीं, बल्कि राष्ट्रपति की अनुशंसा पर देश की सेवा करने का एक मौका है। जब पत्रकार  ने उनसे कहा कि कुछ लोग उन्हें ' बिल्कुल बेशर्म' बता रहे हैं तो उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सरकार से उपहार ही लेना होता तो क्या वह राज्यसभा की सदस्यता से मान जाते? ,  पत्रकार ने किया   राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई से सवाल और उनका जवाब... सवाल: राज्यसभा की सदस्यता का ऑफर स्वीकार करना सही है? जवाब: पिछले दो-तीन दिनों में गजब हो गया। ऐसा लगता है मानो मैंने परमाणु बम गिरा दिया हो और पूरा देश छिन्न-भिन्न हो गया हो... सविंधान के आर्टिकल 80 के तहत राष्ट्रपति को लगा कि मुझे राज्यसभा सदस्यता से सम्मानित किया जाना चाहिए। और जब सम्मान मिल रहा हो तो स्वाभाविक है कि आप उसे लेने से इनकार नहीं कर सकते। पूर्व CJI गोगोई का सिब्बल पर बड़ा आरोप, '...मांगा था साथ' आखिर आपने इनकार क्यों नहीं किया? सवाल: आखिर इस सम्मान से इनकार करने की राह में कौन सा रोड़ा आ रहा था? आपने तो देश के अति प्रतिष्ठित पद पर सेवा दी। प्रतिष्ठा में तो प्रधानमंत्री के बाद चीफ जस्टिस का ही पद होता है। जवाब: मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं। मैंने अपने साथियों से चर्चा में कहा भी कि इस देश में दो पद बहुत प्रतिष्ठित हैं- प्रधानमंत्री और मुख्य न्यायाधीश। मुझे बताइए कि 18 नववंबर, 2019 तक जो फैसले मैंने दिए, उनका मेरा राज्यसभा के लिए नामांकन से कोई संबंध कैसे है? मैंने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया, मेरे फैसले वाली बेंच में पांच, तीन अन्य जज हुआ करते थे। फैसलों पर उनकी सहमति हुआ करती थी। मैंने आर्टिकल 80 पर संविधान सभा में हुई बहसों को पढ़ा और मैंने पाया कि यह एक सेवा है जिसके जरिए आप अपनी विशेषज्ञता से संसदीय चर्चाओं को समृद्धि और गंभीरता प्रदान करते हैं। क्या यह रिटायरमेंट के बाद का उपहार जैसा है? अगर मुझे उपहार की पेशकश होती तो क्या मैं राज्यसभा की सदस्यता से मान जाता? 'बिल्कुल बेशर्म' पर बोले गोगोई... उन्हें बताया गया कि अखबारों में लेख, संपादकीय, ब्लॉग और ओपिनियन लिखकर क्या-क्या कहा जा रहा है। उन्हें एक आर्टिकल का अंश पढ़कर बताया गया कि सरकार का ऑफर स्वीकारे जाने पर उन्हें 'बिल्कुल बेशर्म' तक कहा गया है। जस्टिस गोगोई: अगर जस्टिस गोगोई को लॉ कमिशन का असाइनमेंट या एनसीएलएटी जो अभी खाली है या मानवाधिकार आयोग मिलता जो दिसंबर में खाली होने वाला है, तब न्यायपालिका का स्तर नहीं गिरता, मेरे फैसलों पर सवालिया निशान नहीं लगते? मैं पूछता हूं कि क्या अगर कार्यकाल पूरा करने के बाद भी भारत के मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्र सेवा का मौका मिलता है तो क्या देश में इस तरह हंगामा मचना चाहिए, क्या संविधान की कद्र इस तरह से करनी चाहिए? मैं जानना चाहता हूं कि रिटायरमेंट के बाद राज्यसभा की सदस्यता एंप्लॉयमेंट है? यह सही नहीं है। आप 365 दिन में 60 दिन संसद सत्र में शामिल होते हैं। इसके लिए आपको उतनी या उससे भी कम रकम मिलती है जो सीजेआई के पद से रिटायरमेंट के बाद मिलती है। आवास भी उस स्तर का नहीं होता है जो जिस स्तर का आवास सीजीआई रहते हुए मिलता है। फिर भी आप कहेंगे कि यह सरकार के मनमुताबिक दिए गए फैसलों का उपहार है? ऐसा विचार देश के किसी दुश्मन का ही हो सकता है। जजों पर लॉबी के दबाव पर क्या बोले गोगोई, जानें जस्टिस लोया का सवाल सवाल: क्या जस्टिस लोया केस में जस्टिस लोकुर, जस्टिस चेलमेश्वर ने विपक्ष को यह भरोसा दिलाया था कि आप (जस्टिस गोगोई) उनका (विपक्ष का) जितना साथ दे सकते हैं, उतना कोई नहीं दे सकता? जस्टिस गोगोई: मैं नेताओं का खेल नहीं जानता हूं और न समझता हूं। मैंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लेने का फैसला इसलिए किया क्योंकि मुझे लगा कि चीजें सुधरनी चाहिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस का मुद्दा जज लोया केस नहीं था, मुद्दा था जजों के बीच केसों के बंटवारे का तरीका। जस्टिस दीपक मिश्रा बेहद संवेदनशील थे, उन्होंने हमारी बात समझी और सुधार किया।   www.deshkadarpannews.com.                                     

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