विश्व की सबसे बड़ी पद्मासन प्रतिमा का जैन मंदिर जुरहरा में बन रहा भगवान नेमिनाथ का विशाल मंदिर




विश्व की सबसे बड़ी पद्मासन  प्रतिमा का जैन मंदिर

जुरहरा में बन रहा भगवान नेमिनाथ का विशाल मंदिर

जुरहरा, जिला डीग रेखचंद्र भारद्वाज: भगवान जम्बू स्वामी की तपोस्थली तथा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के समीप जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ का विशाल व भव्य मंदिर परम पूज्य अभिक्षण ज्ञानोपयोगी 108 आचार्य श्री वसुनंदी महाराज के आशीर्वाद से तथा उनकी शिष्या श्री 105 पद्मनंदनी माताजी के सानिध्य में बृज मेवात की धरती कस्बा जुरहरा जिला डीग में बनाया जा रहा है। इस मंदिर में भगवान नेमिनाथ जी की विश्व की सबसे बड़ी पद्मासन प्रतिमा विराजित की गई है जो कि सवा 13 फुट ऊंची पद्मासन प्रतिमा है जिसका वजन लगभग 25 टन है जो काले पाषाण से बनी हुई है। मन्दिर में वेदी की ऊंचाई साढ़े तीन फुट, कमल की ऊंचाई ढाई फुट, शिखर की ऊंचाई 41फुट, मन्दिर के हाल लम्बाई 72 फुट व चौड़ाई  35 फुट रखी गई है जिसकी भव्यता व चमकता से लोगों का मन आकर्षित हुआ है प्रतिमा के नीचे भगवान नेमिनाथ जी का चिन्ह शंख भी बना हुआ है।                                                     राहु ग्रह निवारक होगा मंदिर- जुरहरा में बन रहा भगवान नेमिनाथ का मंदिर राहु ग्रह से छुटकारा दिलाने वाला होगा। मान्यताओं के अनुसार भगवान नेमिनाथ राहु ग्रह के निवारक माने जाते हैं जो व्यक्ति राहु ग्रह से ग्रसित हो वह इस मंदिर में पूजा-अर्चन कर अपने राहु ग्रह के दोष को दूर कर सकता है। भगवान नेमिनाथ जी के इस भव्य मंदिर में एक मान स्तंभ का निर्माण किया जा रहा है  जो की 41 फीट ऊंचा होगा मान स्तंभ में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों की 24 मूर्तियां  स्थापित की जाएगी।                               
नेमि राजुल की गुफा होगी आकर्षण का केंद्र- मंदिर परिसर में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र नेमि राजुल की गुफा होगी जिसमें नेमि राजुल नव भव की प्रीती दिखाई जाएगी तथा उनकी जीवन के वृत्तांत को दिखाया जाएगा। मन्दिर परिसर में फब्बारे और बगीचे भी लगाए जाएंगे तथा एक माता जी की कुटिया भी बनाई जाएगी जो एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगी मंदिर परिसर में एक गुरुजी का कमरा, साधुओं व आर्यिका के कमरे, त्यागी वृत्ति के कमरे, एक कार्यालय, पांच अटैच वातानुकूल कमरे, एक रसोई, एक आहार शाला, एक पूजन सामग्री के कमरे का काम अपनी गति की ओर अग्रसित है। मंदिर परिसर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रात्रि विश्राम के लिए अटैच कमरे, खाने-पीने एवं पूजन करने के लिए पूरी सुविधा की जा रही है                                             
     नेमिनाथ मंदिर से समीपवर्तीय दर्शनीय स्थल- मंदिर परिसर से लगभग 26 किलोमीटर दूरी पर अतिशय क्षेत्र अंतिम केवली 1008 जम्बू स्वामी की तपोस्थली बौलखेड़ा है तथा मंदिर परिसर से 57 किलोमीटर दूरी पर तिजारा जैन मंदिर, 70 किलोमीटर दूरी पर मथुरा चौरासी, 158 किलोमीटर दूरी पर महावीर जी तथा 225 किलोमीटर दूरी पर हस्तिनापुर दर्शनीय स्थल है। जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ यदुवंश के राजा समुद्र विजय के पुत्र थे जो कि भगवान कृष्ण के पिता वासुदेव के भाई थे उनकी माता का नाम शिवा देवी था श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को रानी शिवा देवी ने नील श्याम वर्णी पुत्र को जन्म दिया जिनका नाम अरिष्टनेमी नेमिनाथ रखा गया । 
  कस्बा निवासी तरुण जैन ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण, बलराम और अरिष्टनेमी साथ-साथ बड़े हुए। अरिष्टनेमी नेमिनाथ का विवाह राजा उग्रसेन की पुत्री राजुल के साथ तय हुआ अरिष्टनेमी नेमिनाथ जब विवाह के लिए जा रहे थे तो रास्ते में उन्होंने पशुओं की चीत्कार की आवाज सुनाई दी उन्होंने देखा कि पशुओं की बलि दी जा रही है तथा पशुओं पर हो रही प्रताड़ना को देखकर उसी समय उन्हें वैराग्य उत्पन्न हो गया और वे जंगलों में जाकर तपस्या करने लगे। गिरनार पर्वत पर जाकर उन्होंने तपस्या की जहां उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। ऋग्वेद में इसका उल्लेख है। उन्होंने बताया कि जुरहरा में बन रहे विशाल जैन मंदिर का निर्माण जैन समाज जुरहरा के अलावा धर्म प्रभावना ग्रुप दिल्ली व धर्म प्रभावना युवा मंडल के सहयोग से किया जा रहा है।

फोटो-01 जुरहरा में प्रतिस्थापित की गई भगवान नेमिनाथ की विशाल प्रतिमा।

        02 विशाल जैन मंदिर का लेआउट प्लान।

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