जज के ट्रांसफर पर कांग्रेस ने मोदी और शाह से पुछे सवाल ।


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जज के ट्रांसफर पर कांग्रेस ने मोदी-शाह से पूछे सवाल, बताया ‘हिट एंड रन’ केस।  देशकादपॅण.न्यूज,  नई दिल्ली, 27 February, 2020 दिल्ली हाई कोर्ट के जज का ट्रांसफर होने पर कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है. बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंसा पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस के काम कर सवाल खड़े किए थे. हाईकोर्ट जज के ट्रांसफर को कांग्रेस ने बताया ‘हिट एंड रन’ केस कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने उठाए सवाल हाई कोर्ट जज के ट्रांसफर पर कांग्रेस हमलावरकांग्रेस प्रवक्ता ने मोदी-शाह से पूछे सवालसुरजेवाला ने बताया ‘हिट एंड रन’ केस दिल्ली हिंसा और उसके बीच हाई कोर्ट के जस्टिस के हुए ट्रांसफर के मसले पर कांग्रेस पार्टी लगातार हमलावर है. कांग्रेस के बड़े नेताओं के बाद अब पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ऐसा लग रहा है कि देश में न्याय करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. रणदीप सुरजेवाला बोले कि भाजपा के विषैले और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ सुनवाई कर रहे दिल्ली हाइकोर्ट के वरिष्ठ जज एस. मुरलीधर का रातों-रात तबादला कर दिया गया. कांग्रेस नेता ने इस घटना की तुलना हिट एंड रन केस से की. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए उनपर तीन सवाल दागे और हिंसा पर जवाब मांगा. 1. क्या आपको यह डर था कि यदि आपकी पार्टी के नेताओं की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच की जाएगी, तो दिल्ली की हिंसा, आतंक व अफरा-तफरी में आपकी खुद की मिलीभगत का पर्दाफाश हो जाएगा? 2. निष्पक्ष व प्रभावशाली न्याय सुनिश्चित किए जाने से रोकने के लिए आप कितने जजों का ट्रांसफर करेंगे? 3. क्या आपके पास अपनी ही पार्टी के नेताओं द्वारा दिए गए विषैले बयानों को उचित ठहराने का कोई रास्ता नहीं था, इसलिए आपने उस जज का ही ट्रांसफर कर दिया, जिसने पुलिस को आपकी पार्टी के नेताओं की जांच करने का आदेश दिया था? रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा सरकार की न्यायपालिका पर अनर्थक दबाव बनाने तथा बदला लेने का यह पहला मामला नहीं है. उन्होंने कहा कि गुजरात दंगों में पीएम मोदी-अमित शाह के खिलाफ वकील रहे सुप्रीम कोर्ट के प्रसिद्ध सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की नियुक्ति को मोदी सरकार ने जबरन रोक दिया व सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम के आदेशों की परवाह नहीं की. इसके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता ने उत्तराखंड का मसला भी उठाया. आप को    बता दें कि रणदीप सुरजेवाला से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर पर सवाल खड़े किए. दोनों नेताओं ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा.         देशकादपॅण.न्यूज,  देश के   3 भाजपा नेताओं के खिलाफ एफआईआर में देरी पर नाराजगी जताने वाले हाईकोर्ट के जस्टिस मुरलीधर का आधी रात को ट्रांसफर । जस्टिस मुरलीधर उस बेंच में शामिल थे, जिसने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ एफआईआर में देरी के लिए दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी उन्होंने कहा था- कानून की हिफाजत करना इस कोर्ट की संवैधानिक ड्यूटी है; हम गुस्सा नहीं, बल्कि पीड़ा जाहिर कर रहे हैं, जिसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए । Desh ka Darpan News ,   Feb 27, 2020,  नई दिल्ली.नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के मुद्दे पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली मेंहिंसा और भाजपा नेताओं के भड़काऊ बयानों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर ने पुलिस और सरकार को फटकार लगाई थी। अब उनका ट्रांसफर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट कर दिया गया है। वे हाईकोर्ट में जजों के वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर थे। कानून मंत्रालय ने बुधवार देर रात उनके तबादले का नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे के साथ विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया। इससे पहले 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर समेत तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी। हालांकि, दो अन्य जजोंका ट्रांसफर नहीं हुआ।दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पिछले हफ्ते कॉलेजियम से ट्रांसफर पर पुनर्विचार की मांग की थी। कांग्रेस ने की आलोचना, सरकार बोली- सब नियमानुसार हुआ वहीं, इस मुद्दे पर राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस ने रातोंरात हाईकोर्ट जज के ट्रांसफर को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट किया- बहादुर जज लोया को याद करो, जिनका ट्रांसफर नहीं हुआ था। वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सबकुछ तय प्रक्रिया के मुताबिक ही किया गया है। मरीजों की सुरक्षा को लेकर आधी रात को घर पर सुनवाई की थी दिल्ली में भड़की हिंसा और पीड़ितों के इलाज को लेकर मंगलवार रात 12.30 बजे जस्टिस मुरलीधर के घर पर सुनवाई हुई थी। इसमें जस्टिस अनूप भंभानी भी शामिल थे। याचिकाकर्ता वकील सुरूर अहमद की मांग पर दिल्ली पुलिस को हिंसाग्रस्त मुस्तफाबाद के अल-हिंद अस्पताल में फंसे हुए मरीजों को पूरी सुरक्षा के साथ बड़े अस्पताल पहुंचाने का आदेश दिया था। ‘1984 वाले हालात नहीं बनने देंगे’ इसके बाद बुधवार सुबहजस्टिस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की बेंच नेसामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की याचिका पर सुनवाई की थी। इस दौरान दिल्ली में हिंसा और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाई थी। कहा था-हिंसा रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाने की जरूरत है। हम दिल्ली में 1984 जैसे हालात नहीं बनने देंगे। इसलिए जो जेड सिक्योरिटी वाले नेता हैं, वे लोगों के बीच जाएं। उन्हें समझाएं, ताकि उनमें भरोसा कायम हो सके। जस्टिस मुरलीधर ने सुनवाई के दौरान ही दिल्लीपुलिस कमिश्नर को भड़काऊ भाषणों के सभी वीडियो देखने का आदेश दिया था। उन्होंने कोर्ट में भाजपा नेता कपिल मिश्रा का वायरल वीडियो भी प्ले कराया था। कांग्रेस ने जज के तबादले पर केंद्र सरकार को घेरा कांग्रेस ने जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी प्रवक्तारणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यह भाजपा सरकार के हिट एंड रन और नाइंसाफी का बेहतर उदाहरण है। यह बदले की राजनीति है। सरकार ने भड़काऊ भाषण देने वाले भाजपा नेताओं को बचाने के लिए जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर किया है। ऐसा लगता है कि जो न्याय के लिए आवाज उठाएगा, उस पर कार्रवाई होगी। वहीं, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि ईमानदार न्यायपालिका का मुंह बंद करने से देश के करोड़ों लोगों का विश्वास टूटा है। रातोंरात जज का ट्रांसफर कर देना शर्मनाक है। राहुल गांधी का ट्वीट- जज लोया को याद करो, जिनका ट्रांसफर नहीं हुआ था कौन हैं जस्टिस मुरलीधर? जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। वे बिना फीस के केस लड़ने के लिए चर्चित रहे हैं, इनमें भोपाल गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस भी शामिल हैं। 2006 में उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जस्टिस मुरलीधर साम्प्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर सख्त टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा नरसंहार में दोषी पीएसी जवानों को सजा सुनाई थी। इसके अलावा 1984 दंगा केस में कांग्रेस नेता सज्जन सिंह को दोषी ठहराया। समलैंगिकों के साथ भेदभाव पर फैसला देने वाली बेंच में शामिल रह चुके ।  (देशकादपॅण.न्यूज)    दिल्ली में हिंसा पर अदालतें / सुप्रीम कोर्ट की पुलिस को फटकार; हाईकोर्ट ने कहा- 1984 जैसे हालात नहीं बनने देंगे, जेड सिक्योरिटी वाले नेता लोगों के बीच जाकर उन्हें समझाएं  ।                   देशकादपॅण. न्यूज, दिल्ली हाईकोर्ट जज के तबादले का बार एसोसिएशन ने किया विरोध,         एस. मुरलीधर ने सितंबर 1984 में चेन्नई से कानून की प्रैक्टिस शुरू की थी। साल 1987 में वे सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित हो गए। आप को बता दे कि   दिल्ली हाईकोर्ट जज के तबादले का बार एसोसिएशन ने किया विरोध,    दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर का पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधरन के तबादले की सिफारिश 12 फरवरी को ही की थी, जिसे अब मंजूर कर लिया गया है लेकिन तबादले की सिफारिश का विरोध करते हुए बार एसोसिएशन ने आग्रह किया था कि इस पर ‘फिर से विचार’ किया जाए। एसोसिएशन का कहना है कि ‘ऐसे तबादले से न्यायिक व्यवस्था में आम मुकदमेबाजी का विश्वास कम होता है और इससे हमारे संस्थान की गरिमा पर प्रभाव पड़ता है।’ ये वही मुरलीधरन हैं जिनके तबादले को लेकर कॉलेजियम पहले भी दो फाड़ हो चुका है। मुरलीधर अपने ‘बोल्ड फैसलों’ के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 2018 दिसंबर में ही मुरलीधर के तबादले का प्रस्ताव रखा था। इसके बाद इस 2019 जनवरी में भी तबादले का प्रस्ताव रखा था लेकिन उनके नाम पर कॉलेजियम के जज दो फाड़ हो गए थे। पिछले साल जनवरी 2019 में इंडियन एक्सप्रेस में सीमा चिश्ती की छपी रिपोर्ट के मुताबिक, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मुरलीधर के तबादले का प्रस्ताव रखा था। लेकिन कॉलेजियम के सदस्यों के बीच ही कथित तौर पर विरोध हो गया था। जिन सदस्यों ने विरोध किया था, उनमें जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस एके सीकरी शामिल थे।                                  हाईकोर्ट में बोली दिल्ली पुलिस- 48 FIR दर्ज कर चुके, पर हेट स्पीच में नहीं करेंगे FIR इस बार कॉलेजियम ने तबादले की सिफारिश की तो सरकार ने उसे मंजूरी दे दी। जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर विवाद तब मचा जब मंजूरी उस दिन दी गई जब उन्होंने दिल्ली हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। Deshkadarpannews.com,  मुरलीधर अपने कई फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में उत्तर प्रदेश PAC के सदस्यों और 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था। इसके अलावा वो दिल्ली हाईकोर्ट की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने पहली बार 2009 में नाज फाउंडेशन मामले में LGBTQ (समलैंगिकता) सेक्स को कानूनी जामा पहनाया था।  www.deshkadarpannews.com.                                                                            

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