आजादी से पहले से ही संचालित यूनानी चिकित्सालय को बहाल करने की मांग उठी, पांच साल के लिए मेडिकल कॉलेज में हुआ था मर्ज, 10 साल बाद भी बहाल नहीं

आजादी से पहले से ही संचालित यूनानी चिकित्सालय को बहाल करने की मांग उठी, पांच साल के लिए मेडिकल कॉलेज में हुआ था मर्ज, 10 साल बाद भी बहाल नहीं

देश का दर्पण न्यूज़ राजस्थान टॉप संवाददाता अंसारुल हक़। 

टोंक
आजादी से पहले का यूनानी चिकित्सालय बहाल नहीं किए जाने से क्षेत्र के लोगों को कई सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जिसको लेकर कई प्रबुद्धजनों ने इस संबंध में उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखे हैं। 
उल्लेखनीय है कि यूनानी चिकित्सा के क्षेत्र में टोंक का नाम देश ही नहीं दुनिया में एक समय पहचाना जाता था। यहां पर यूनानी चिकित्सालय आजादी से पहले ही खुल गया था। जो 2013 तक ए लेवल के यूनानी चिकित्सालय के रुप में संचालित भी हुआ। लेकिन उसके बाद यूनानी मेडिकल कॉलेज को रनिंग में लाने के लिए इसे यूनानी मेडिकल कॉलेज के तहत 5 साल के लिए मर्ज किया गया। लेकिन हाल ये है कि पिछले 10 साल से ये ए लेवल का यूनानी चिकित्सालय अब तक बहाल नहीं हो सका हैं। यानी की ये समाप्त सा हो गया है। जबकि इसको समाप्त नहीं किया जा सकता है। कई जानकारों ने बताया कि पांच साल के लिए मर्ज हुए यूनानी चिकित्सालय को स्वतंत्र रुप से पांच साल बाद ही संचालित किया जाना आवश्यक था। जो अबतक नहीं हो सका।
यदि वर्तमान में ए लेवल का यूनानी चिकित्सालय स्वतंत्र रुप से संचालित होता, तो उसमें कम से कम 11 का स्थाई स्टाफ के साथ ही सरकारी निशुल्क दवाओं का लाभ मरीजों को मिल सकता था। यहां पर सभी स्टाफ स्थाई होने के साथ ही जांच की भी कई सुविधाएं मुहैया हो सकती थी। लेकिन इस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जिसकी की स्थिति से लोगों ने उच्च अधिकारियों को भी अवगत कराया है। ताकि यूनानी चिकित्सालय बग्गी खाना में ए लेवल चिकित्सालय के तहत स्टाफ आदि स्थाई लगाए जा सके। जिसे क्षेत्र के मरीजों को लाभ मिल सके। क्षेत्र के लोगों को यूनानी चिकित्सा का लाभ पूरी तरह नहीं मिल रहा है। राजस्थान सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय जौधपुर के अधीन संचालित इस बग्गी खाना एवं मेडिकल कॉलेज को यदि राज्य सरकार के अधीन कर दिया जाए तो भी, स्टुडेंट व मरीजों को अधिक सुविधा एवं राहत मिल सकती हैं। इससे भी प्रबुद्धजनों ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है।
 लंबे समय से कई कार्मिक डेपूटेशन पर हैं उनके कार्य की समीक्षा की जाए। बारिश में अस्पताल में पानी कमरों एवं परिसर में भरने की समस्या के तहत भी कुछ नहीं किया जा सका है। उस पर भी उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया हैं।

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