नाडी में गुडियों का बालिकाओं ने किया विसर्जित देवशवनी एकादशी मनाई
नाडी में गुडियों का बालिकाओं ने किया विसर्जित
इसके साथ ही चार माह तक शादी विवाह, गृह प्रवेश व मुंडन सहित सभी मांगलिक कार्यो पर रोक लग गई। अब देवउठनी एकादशी 15 नवम्बर के बाद मांगलिक कार्य शुरू होंगे। देवशवनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते है। चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करते है और भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हंै। गांव के चारभुजा नाथ, लक्ष्मीनाथ व रघुनाथ आदि मंदिरों में देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन हुए। मुरली मनोहर जी के मंदिर में ठाकुर जी की विशेष झांकी के दर्शन कराए गए। मुरली मनोहर मंदिर में बुधवार को दिन भर महिलाओं की मंडली ने भजन कीर्तन किया। पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि ठाकुरजी के पंचामृत अभिषेक किया गया। ठाकुर जी का विशेष आभूषणों से अलंकृत कर सजाया गया। इसके बाद ठाकुर जी की आरती की गई। देवशयनी एकादशी पर युवतियों ने श्रेष्ठ वर की कामना के लिए कपड़े की गुडिय़ा बनाकर धूली नाड़ी में बहाई गई। इस दौरान युवतियों ने गुडियाओं को नाडी में बहाने गए गुड व धानी का प्रसाद वितरित किया गया। देवशयनी एकादशी पर बालिकाओं ने गुड़ी का पर्व मनाया। बालिकाओं ने रंग बिरंगी कपड़ों से बनी गुडिय़ाओं को लेकर सखियों के साथ धूली नाड़ी पर पहुंची और पूजा अर्चना कर तालाब में विसर्जित किया तथा शक्कर व गेहूं से बने प्रसाद का वितरण किया। सुबह से घरों में बालिकाएं दुल्हन रूपी गुडिय़ां बनाने में जुटी रही। देर शाम तालाब में गुडियों को विसर्जित किया। देवशयनी एकादशी के साथ शहनाइयों की गूंज भी थम गई। देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
देवशवनी एकादशी मनाई
देश का दर्पण न्यूज़ निवाई संवाददाता मनीष शर्मा
निवाई-आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी पर बुधवार को देवशयनी एकादशी मनाई गई।
इसके साथ ही चार माह तक शादी विवाह, गृह प्रवेश व मुंडन सहित सभी मांगलिक कार्यो पर रोक लग गई। अब देवउठनी एकादशी 15 नवम्बर के बाद मांगलिक कार्य शुरू होंगे। देवशवनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते है। चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करते है और भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हंै। गांव के चारभुजा नाथ, लक्ष्मीनाथ व रघुनाथ आदि मंदिरों में देवशयनी एकादशी पर विशेष आयोजन हुए। मुरली मनोहर जी के मंदिर में ठाकुर जी की विशेष झांकी के दर्शन कराए गए। मुरली मनोहर मंदिर में बुधवार को दिन भर महिलाओं की मंडली ने भजन कीर्तन किया। पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि ठाकुरजी के पंचामृत अभिषेक किया गया। ठाकुर जी का विशेष आभूषणों से अलंकृत कर सजाया गया। इसके बाद ठाकुर जी की आरती की गई। देवशयनी एकादशी पर युवतियों ने श्रेष्ठ वर की कामना के लिए कपड़े की गुडिय़ा बनाकर धूली नाड़ी में बहाई गई। इस दौरान युवतियों ने गुडियाओं को नाडी में बहाने गए गुड व धानी का प्रसाद वितरित किया गया। देवशयनी एकादशी पर बालिकाओं ने गुड़ी का पर्व मनाया। बालिकाओं ने रंग बिरंगी कपड़ों से बनी गुडिय़ाओं को लेकर सखियों के साथ धूली नाड़ी पर पहुंची और पूजा अर्चना कर तालाब में विसर्जित किया तथा शक्कर व गेहूं से बने प्रसाद का वितरण किया। सुबह से घरों में बालिकाएं दुल्हन रूपी गुडिय़ां बनाने में जुटी रही। देर शाम तालाब में गुडियों को विसर्जित किया। देवशयनी एकादशी के साथ शहनाइयों की गूंज भी थम गई। देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
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