जयपुर- रिंगस ट्रेन/ सी आर एस ने कहा -पहले ट्रेक पर जरूरी नवीनीकरण करे,फिर चलेगी ट्रेन।29/8/19
www.deshkadarpannews.com: जयपुर-रींगस ट्रेन / सीआरएस ने कहा-पहले ट्रैक पर जरूरी नवीनीकरण करें, फिर देंगे ट्रेन चलाने की अनुमति Jaipur-Ringas train will not be able to run before October सीआरएस ने ट्रैक पर तकनीकी खामियों को पूरा करने के दिए निर्देश, अब अक्टूबर से पहले सपनों में ही दौड़ेगी ट्रेन डेडलाइन से दो माह पहले पूरा हो चुका प्रोजेक्ट अभी तक कागजों में ही ले रहा वाहवाही । जयपुर रेलवे बोर्ड और जयपुर मंडल प्रशासन की लापरवाही और लालफीताशाही की प्रथा जयपुर और शेखावाटी के लोगों के लिए परेशानी का सबब बनेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि वेस्टर्न सर्किल के सीआरएस आरके शर्मा ने इस रूट पर ट्रेन चलाने से पहले कुछ तकनीकी बदलाव करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में इस प्रक्रिया को पूरा होने में ही करीब एक महीना लग जाएगा। बदलाव किए जाने के बाद रेलवे इस संबंध में सीआरएस को सूचित करेगा। ऐसे में या तो सीआरएस इसका पुन: निरीक्षण करेंगे, नहीं तो इसे स्वीकृत करते हुए मंजूरी दे देंगे। फिर इस रूट पर ट्रेन चलाने के लिए रेलवे बोर्ड को दोबारा प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसके बाद मंजूरी मिलने पर इस रूट पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा। इस पूरी प्रक्रिया में करीब डेढ़ महीने का समय लगना तय है। ऐसे में ट्रेन संचालन अक्टूबर से पहले संभव नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने जयपुर यार्ड रिमॉडलिंग के कार्यों को कुछ बदलाव करते हुए मंजूरी दे दी है। यानी जयपुर से बांदीकुई, सवाईमाधोपुर और फुलेरा की ओर जाने वाली सभी ट्रेनों का संचालन सामान्य हो जाएगा। अफसरों को फटकारते हुए कहा- जब पूरी तैयारी ही नहीं थी, तो मुझे बुलाया क्यों? वेस्टर्न सर्किल के सीआरएस शर्मा ने सीएओ (सी) सीएल मीना, डीआरएम मंजूषा जैन, सीएसई ओम मेहरा, सीई अनिल कुमार सहित अन्य अधिकारियों के साथ अमानीशाह नाले (सीकर एंड) से लेकर जयपुर यार्ड के बीच डेढ़ किलोमीटर ट्रैक का निरीक्षण किया। जो कि जयपुर यार्ड रिमॉडलिंग के निरीक्षण से बचे हुए हिस्से में शामिल था। इस पर कुछ जरूरी बदलाव करने के निर्देश देते हुए इसे सांकेतिक मंजूरी प्रदान कर दी। इस सप्ताह में सीआरएस इसकी लिखित मंजूरी (सर्टिफिकेट) भी जारी कर देंगे। इसके बाद रेलवे प्रशासन ने उनसे ढेहर का बालाजी-रींगस रूट पर सीआरएस सर्टिफिकेट की वैधता बढ़ाने का अनुरोध किया। ताकि इस रूट पर ट्रेन चलाई जा सके। इस पर सीआरएस ने निर्माण, इंजीनियरिंग (ओपन लाइन) और ऑपरेटिंग विभाग से कुछ सवाल किए। जिस पर सभी अधिकारी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे और गोलमोल जवाब देने लगे। सीआरएस ने सभी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब आप लोगों ने तैयारियां ही पूरी नहीं कीं? तो मुझे निरीक्षण के लिए क्यों बुलाया? इस रूट पर सभी तकनीकी बिंदुओं का नवीनीकरण कर मुझे सूचित किया जाए। उसके बाद मैं इस पर ट्रेन चलाने की मंजूरी दूंगा। अगर ट्रेन चला देते तोनहीं आती ये परेशानी तत्कालीन सीआरएस सुशील चंद्रा ने अप्रैल माह में ही इस रूट पर ट्रेन चलाने की मंजूरी दे दी थी। लेकिन रेलवे बोर्ड, मुख्यालय और मंडल के अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस पर ट्रेन का संचालन नहीं हो पाया। ऐसे में वर्तमान सीआरएस शर्मा ने इस रूट पर रेल लाइन, प्वॉइंट्स, फिश प्लेट, जोगल प्लेट सहित अन्य तकनीकी बिंदुओं की दोबारा से जांच करने के निर्देश दिए हैं। सबसे बड़े जिम्मेदार...बोर्ड के ऑपरेशंस अधिकारी इस पूरी परेशानी के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार रेलवे बोर्ड के ऑपरेशन्स से जुड़े अधिकारी हैं। स्थानीय स्तर पर तत्कालीन डीआरएम सौम्या माथुर, सीनियर डीओएम केके मीना और सीपीटीएम तरुण जैन भी इस परेशानी के लिए जिम्मेदार हैं। अगर मुख्यालय रेलवे बोर्ड के समक्ष इस ट्रैक पर ट्रेन चलाने की पैरवी मजबूती के साथ करता, तो इस रूट पर ट्रेन का संचालन हो सकता था। टोल टैक्स / जयपुर से दिल्ली जाना महंगा; 1 सितंबर से 3 टोल पर 15 रु. तक ज्यादा लगेंगे ।
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