निभॅया के दोषीयों को फाँसी की हरी झंडी 18/12/1 9
www.deshkadarpannews.com. निर्भया के दोषियों को फांसी की हरी झंडी, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की अक्षय की पुनर्विचार याचिका न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Updated Wed, 18 Dec 2019 nirbhaya case nirbhaya case - फोटो : सोशल मीडिया सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के दोषी अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा कि हम बिना किसी दबाव के यह फैसला सुना रहे हैं। अक्षय की पुनर्विचार याचिका में कोई नए तथ्य नहीं है इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है। गौरतलब है कि अब पटियाला हाउस कोर्ट में डेथ वारंट को लेकर जो सुनवाई दोपहर दो बजे होने वाली है उसका रास्ता भी साफ हो जाएगा। इस फैसले के बाद निर्भया की मां ने कहा है कि वह बहुत खुश हैं। साथ ही उन्होंने मीडिया व देश का भी शुक्रिया अदा किया कि उनके इस सफर में सबने उनका साथ दिया। वहीं दोषी के वकील एपी सिंह ने फैसले पर कहा कि हमारे केस में हमने जो तथ्य रखे वो सभी नए हैं लेकिन अदालत ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि कई बार जनभावना के आधार पर फैसला आता है वहीं निर्भया गैंगरेप में हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले कोर्ट में जो सुनवाई हुई उसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि दोषी किसी भी तरह की उदारता का हकदार नहीं है और भगवान भी ऐसे ‘दरिंदे’ को बना शर्मसार होगा। तुषार मेहता ने आगे कहा, कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें 'मानवता रोती' है और यह मामला उन्हीं में से एक है। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में कहा जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई पूरी कर चुकी है। अदालत में किसने क्या कहा- अदालत ने दोषी अक्षय के वकील से कहा कि आपके पास आधा घंटा है। जब दोषी के वकील ने जांच पर सवाल उठाया तो अदालत ने कहा कि अब जांच पर सवाल नहीं उठाए जा सकते हैं। यह भी सामने आया है कि निर्भया के दोषी के वकील एपी सिंह ने अदालत को बताया कि उनके पास अब नए तथ्य हैं। दोषी के वकील ने अदालत में ये भी कहा है कि उसके मुवक्किल को मीडिया, जनता और राजनीतिक दबाव में दोषी ठहराया गया था और वह दबाव आज भी बरकरार है। वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोस्त जिक्र करते हुए कहा कि वह पैसे लेकर मीडिया को बयान दे रहा था, इसकी शिकायत सह आरोपी के पिता ने की है और वह मामला कोर्ट में लंबित है। दोषी के वकील ने ये भी कहा कि अक्षय का परिवार पीड़ा भोग रहा है। वकील ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि अक्षय को मौत की सजा न दी जाए। वकील एपी सिंह ने कहा कि आरोपी राम सिंह जिसने तिहाड़ में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी उसके विसरा में शराब पाई गई थी। उसकी जांच क्यों नहीं हुई। आखिर जेल में बंद एक कैदी को शराब कैसे मिली इस बात की जांच क्यों नहीं हुई। कितने साल से देश की जेलों में सैकड़ों बड़े अपराधी बंद हैं उन्हें कोई सजा नहीं हुई, अक्षय को भी फांसी मत दीजिए, यह सब राजनीतिक दबाव के चलते हो रहा है। पीड़िता के बयान पर भी सवाल उठाए गए हैं, वकील एपी सिंह ने कहा कि पीड़िता लगातार मॉर्फिन के नशे में थी वह कैसे बयान दे सकती है। वकील ने एक बार फिर से द्वापर और त्रेता युग का उदाहरण देते हुए कहा कि तब लोगों की उम्र लंबी होती थी अब तो वैसे ही लोगों की उम्र कम हो गई है, इसलिए उन्हें मौत की सजा न दी जाए। वकील ने ये भी कहा कि फांसी मानवाधिकारों का हनन है, इसलिए फांसी की सजा न दी जाए। वकील ने एक बार फिर कहा कि लोग यहां प्रदूषण से मर रहे हैं, फांसी न दी जाए। वकील ने ये भी कहा कि आज तक किसी अमीर को फांसी नहीं हुई। वकील ने कहा है कि फांसी की सजा बहुत पुरानी है और फांसी से अपराधी मरता है अपराध नहीं। इससे अन्य अपराधियों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता एपी सिंह ने ये भी कहा कि इस मामले में जो बस थी उसे सीसीटीवी की मदद से ढूंढा गया फिर पुलिस स्टेशन की बजाय त्यागराज स्टेडियम में रख दिया गया, ये भी सवाल खड़े करता है कि ऐसा क्यों हुआ। दोषी के वकील की दलीलों के बाद अदालत ने कहा कि आप ठोस बातें कहें, हमारे फैसले में कमी बताएं। देश में मौत की सजा को खत्म कर देना चाहिए। अक्षय को गलत तरीके से फंसाया गया है, उसके खिलाफ झूठे सबूत तैयार किए गए हैं। निर्भया का मौत से पहले दिया गया बयान संदिग्ध है। यह बनाया लगता है। वह स्वैच्छिक नहीं था। उसने अपने बयान में अक्षय का नाम नहीं लिया था। वकील ने कोर्ट में ये दलील भी दी कि अपने पहले डाइंग डेक्लेरेशन में निर्भया ने किसी भी आरोपी का नाम नहीं लिया था, जिसके अपराध किया हो। उसके मौत की वजह घावों के सड़ने और दवा की अधिकता की वजह से हुई थी। मंगलवार को अदालत में क्या हुआ मंगलवार को अक्षय की पुनर्विचार याचिका चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस आर भानुमति औश्र जस्टिस अशोक भूषण की पीठ केसमक्ष सूचीबद्ध थी। अक्षय के वकील एपी सिंह ने बहस की शुरुआत करते हुए इस मामले में जांच के तरीके पर सवाल उठाया। इसी दौरान पीठ के सदस्यों ने पूर्व आदेशों पर गौर करने के बाद पाया कि चीफ जस्टिस के एक रिश्तेदार इस मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी कर चुके हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस बोबडे ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर चीफ जस्टिस इस पीठ का हिस्सा भी रहे तो अनुचित नहीं है। लेकिन चीफ जस्टिस ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग रखना ही बेहतर समझा। विज्ञापन मालूम हो कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के चारों दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद विनय, पवन और मुकेश ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। उस वक्त अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की थी। गत 10 दिसंबर को अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। अक्षय ने अपनी याचिका में कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण के कारण वैसे ही लोगों की उम्र कम हो रही है ऐसे में फांसी की जरूरत नहीं है। मालूम हो कि निर्भया की मां ने भी अक्षय की पुनर्विचार याचिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। www.deshkadarpannews.com.
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