तब्लीगी जमात के मिडिया कवरेज पर अंतरिम फैसला देने पर सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार ।
www.deshkadarpannews.com. Supreme Court Refuses To Give Final Decision On Petition Filed For Media Coverage Of Tablighi Jamaat, Hearing Next Week तब्लीगी जमात के मीडिया कवरेज पर अंतरिम फैसला देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- प्रेस का गला नहीं दबाएंगे न्यूज डेस्क, देशकादपॅण.न्यूज; नई दिल्ली Mon , 13 Apr 2020 . सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने तब्लीगी जमात के मीडिया कवरेज को लेकर दायर याचिका पर कोई अंतरिम निर्णय देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि वह प्रेस का गला नहीं घोटेगा। दो सप्ताह बाद कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई की जाएगी। दरअसल, कोरोना वायरस महामारी फैलने को हालिया निजामुद्दीन मरकज की घटना से जोड़कर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत और धर्मान्धता फैलाने से मीडिया के एक वर्ग को रोकने के लिए मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका कोर्ट ने कोई भी अंतरिम आदेश देने से सोमवार को इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मुस्लिम संगठन की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की और उससे कहा कि इस मामले में भारतीय प्रेस परिषद को भी एक पक्षकार बनाए। पीठ ने कहा कि वह इस समय याचिका पर कोई अंतरिम आदेश नहीं देगा और उसने यह मामला दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। याचिकाकर्ता ने इस याचिका में आरोप लगाया है कि मीडिया का एक वर्ग दिल्ली में पिछले महीने आयोजित तब्लीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफरत फैला रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अपनी याचिका में फर्जी खबरों को रोकने और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश केंद्र को देने का अनुरोध किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि तब्लीगी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल सारे मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराने के लिए किया जा रहा है। पश्चिमी निजामुद्दीन में पिछले महीने तब्लीगी जमात के मुख्यालय में हुए धार्मिक कार्यक्रम में कम से कम नौ हजार लोगों ने शिरकत की थी और यह कार्यक्रम ही भारत में कोविड-19 महामारी के संक्रमण फैलने का एक मुख्य स्रोत बन गया क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकांश व्यक्ति अपने धार्मिक कार्यों के सिलसिले में देश के विभिन्न हिस्सों में गए जहां वे अन्य लोगों के संपर्क में आए। कुछ टीवी चैनलों पर मुस्लिमों की छवि को गलत ढंग से पेश किया गया: मौलाना मदनी गौरतलब हो कि दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज के तब्लीगी जमात और इसे लेकर मुसलमानों की छवि खराब करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद कुछ न्यूज चैनलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का कहना था कि हमारी शिकायत की बुनियाद पर कोर्ट सख्त रवैया अपनाएगा क्योंकि पहले भी इस सिलसिले में कड़ी हिदायत दी गई है। मौलाना मदनी ने बताया था कि इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है क्योंकि तब्लीगी जमात की जो तस्वीर पेश की जा रही है, उससे लगता है कि मुल्क के अंदर कोरोना इन्हीं लोगों की वजह से आया है। इसके नाम पर पूरी मुस्लिम कौम को दागदार करने की कोशिश की जा रही है। कुछ टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर भी मुस्लिमों की छवि को गलत ढंग से पेश किया जा रहा है। मौलाना मदनी ने कहा कि बहुत से समझदार पढ़े लिखे हिंदू और कुछ मीडिया वाले ऐसे भी हैं, जो इसे नापसंद कर रहे हैं। खुशी की बात यह है कि खुद आरएसएस के नेता मनमोहन वैद्य का कहना है कि मुसलमानों की छवि खराब न की जाए। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वालों में हिंदू भी हैं और मुसलमान भी, जो इस वायरस को लेकर आए हैं, लेकिन सिर्फ मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराना गलत है। क्या था मामला? मार्च महीने में दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब्लीगी जमात के हजारों लोग शामिल हुए थे। इस दौरान देश में कोरोना का संक्रमण फैल चुका था। दिल्ली पुलिस ने तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद को कोरोना संकट के मद्देनजर आयोजन टालने के लिए कहा था, लेकिन इसके बाद भी मरकज के कार्यक्रम में देश-दुनिया के हजारों लोग जुटे। इसके बाद हजारों लोग यहां से देश के अलग-अलग हिस्सों में धार्मिक प्रचार के लिए निकल गए थे। तेलंगाना में जमात से जुड़े लोगों की कोरोना से मौत का खुलासा होने पर पुलिस ने मकरज से करीब 2300 लोगों को निकालकर क्वारंटीन किया था। तब्लीगी जमात के लोगों की वजह से तमिलनाडु, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात में कोरोना संक्रमण के कई मामले सामने आए थे। इसके साथ ही तब्लीगी जमात के लोग हरियाणा के जिन पांच गांवों में गए थे, उन गांवों को भी सील कर दिया गया था। बता दें कोरोना वायरस के संक्रमण को तेजी से फैलने से रोकने के लिए तब्लीगी जमात और उनके संपर्क में आए 25 हजार लोगों को पूरे देश में क्वारंटाइन किया गया है। तब्लीगी जमात के कुल 2,083 विदेशी सदस्यों में से 1,750 सदस्यों को अभी तक ब्लैक लिस्ट में डाला जा चुका है। इस मामले के सामने आने के बाद मीडिया में इसकी कवरेज को लेकर तब्लीगी जमात के सदस्यों के भीतर काफी नाराजगी थी, इसे देखते हुए इसकी तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इन दिनों सोशल मीडिया में कई तरह के वीडियो और फेक न्यूज शेयर की जा रही हैं। जिनसे मुस्लिमों की छवि खराब हो रही है। इनसे तनाव बढ़ सकता है, जो साम्प्रदायिक सौहार्द्र और मुस्लिमों की जान पर खतरा है। साथ ही यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन भी है। www.deshkadarpannews.com.
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