पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन होना आवश्यक- रेखा यादव
पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन होना आवश्यक- रेखा यादव
देश का दर्पण न्यूज़,धौलपुर (धर्मेन्द्र बिधौलिया ) 22 अगस्त।
नगर परिषद धौलपुर के सभागार मे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि जिला कलक्टर श्रीनिधि बी टी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) सचिव धौलपुर रेखा यादव रहे।
शिविर मे सचिव रेखा यादव ने बताया कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शब्द का अर्थ ठोस अपशिष्टों के संग्रह, उपचार और निपटान प्रक्रिया से है। अपशिष्टों को विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किया जाता है और अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया के माध्यम से उनका निपटान किया जाता है, जिसमें संग्रह, परिवहन, उपचार, विश्लेषण और निपटान शामिल होता है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शब्द का अर्थ ठोस अपशिष्टों के संग्रह, उपचार और निपटान प्रक्रिया से है। अपशिष्टों को विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किया जाता है और अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया के माध्यम से उनका निपटान किया जाता है, जिसमें संग्रह, परिवहन, उपचार, विश्लेषण और निपटान शामिल होता है, आदि के बारे मे विस्तार से बताया।
इसी प्रकार आयुक्त नगर परिषद् धौलपुर अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि दैनिक उपयोग की वस्तुएं जैसे उत्पाद पैकेजिंग, यार्ड की सजावट, फर्नीचर, कपड़े, बोतलें, डिब्बे, भोजन, समाचार पत्र, उपकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरी आदि नगरपालिका ठोस अपशिष्ट का हिस्सा होते हैं। बढ़ते शहरीकरण और जीवनशैली में बदलाव के साथ, नगरपालिका अपशिष्ट की मात्रा भी बढ़ रही है। इसे मोटे तौर पर पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है पुनर्चक्रणीय सामग्री गिलास, बोतलें, डिब्बे, कागज, धातु, आदि, मिश्रित अपशिष्ट टेट्रा पैक, खिलौने, जैवनिम्नीकरणीय अपशिष्ट रसोई का अपशिष्ट, फूल, सब्जियाँ, फल और पत्तियाँ, निष्क्रिय अपशिष्ट चट्टानें, मलबा, निर्माण सामग्री, घरेलू खतरनाक और विषाक्त अपशिष्ट ई-कचरा, दवाइयां, प्रकाश बल्ब, आदि के बारे मे विस्तार से बताया।
इसी प्रकार अधिशाषी अभियंता नगर परिषद धौलपुर बृजमोहन सिंघल ने बताया कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रकार लैंडफिल इसमें शहर के आस-पास खाली जगहों पर कचरे को दबाना शामिल है। संदूषण को रोकने के लिए डंपिंग साइट को मिट्टी से ढक दिया जाना चाहिए लाभ यदि प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाए तो यह एक स्वच्छ निपटान पद्धति है। भस्मीकरण- यह उच्च तापमान पर अधिकतर कार्बनिक यौगिकों का नियंत्रित ऑक्सीकरण (जलाना/तापीय उपचार) है जिससे तापीय ऊर्जा, और जल उत्पन्न होता है जलाने से दहनशील अपशिष्ट की मात्रा काफी कम हो जाती है। कम्पोस्ट बनाना- यह पत्तियों और खाद्य अवशेषों जैसे कार्बनिक पदार्थों को लाभकारी उर्वरकों में पुनर्चक्रित करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो मिट्टी और पौधों दोनों को लाभ पहुंचा सकती है यह फसलों के लिए लाभदायक है और पर्यावरण के अनुकूल विधि है। पुनर्चक्रण- यह अपशिष्ट पदार्थ को नए पदार्थ में बदलने की प्रक्रिया है। उदाहरण लकड़ी पुनर्चक्रण, कागज़ पुनर्चक्रण और कांच पुनर्चक्रण। यह पर्यावरण के अनुकूल है। वर्मीकंपोस्टिंग- वर्मीकंपोस्टिंग एक जैव-रूपांतरण तकनीक है जिसका उपयोग आमतौर पर ठोस कचरे को संभालने के लिए किया जाता है। केंचुए प्रजनन और संख्या में वृद्धि करने के लिए जैविक कचरे को खाते हैं, इस जैव-रूपांतरण प्रक्रिया में वर्मीकंपोस्ट और वर्मीवॉश उत्पाद के रूप में बनते हैं। इससे रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है और पौधों की वृद्धि बढ़ती है।
जागरूकता शिविर मे अशोक मिश्रा डीपीओ, पार्षदगण कूक्कू शर्मा, विशम्बर दयाल शर्मा, आनन्द मिश्रा, बॉवी आदि एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के वरिष्ठ सहायक जगदीश सिंह, बनवारी, विक्की आदि लोग उपस्थित रहें।
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