आमेर तहसील जयपुर दौलतपुरा में 500 बीघा बेशकिमती भूमि के फ़र्ज़ी आवंटन के आरोप पर माननीय हाई कोर्ट के न्यायाधिपति समीर जैन में जे डी ए को पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया
अप्पू घर प्रकरण
आमेर तहसील जयपुर दौलतपुरा में 500 बीघा बेशकिमती भूमि के फ़र्ज़ी आवंटन के आरोप पर माननीय हाई कोर्ट के न्यायाधिपति समीर जैन में जे डी ए को पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया और जे डी ए को निर्देशित किया की वो अप्पू घर इंटरनेशनल एम्यूजमेंट एंड इंफ़्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को विशेष वि प्रयोजन के लिए रियायती दर पर आवंटित भूमि का समस्त रिकॉर्ड दिनांक 10.10.2024 लेकर कोर्ट के समक्ष हाज़िर हो
यह कि मामला उक्त भूमि से संबंधित है जिसको राज्य सरकार में पहली कंपनी इंटरनेशनल एम्यूजमेंट लिमिटेड जिसको दिल्ली में अप्पू घर चलाने का अनुभव था उसके योगिता के आधार पर मेगा टूरिज्म सिटी amusement पार्क विकसित करने हेतु देने का निर्णय लिया था बाद में उक्त कंपनी के डायरेक्टर्स में जीडीए से मिलीभगत कर उक्त भूमि का आवंटन पत्र दूसरी नयी कंपनी इंटरनेशनल एम्यूजमेंट एंड इन्फ़्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के नाम जारी करवा लिया और बाद में लीज डीड तीसरी कंपनी इंटरनेशनल एम्यूजमेंट एंड इंफ़्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के नाम जारी करवा लिया । उक्त नामों के परिवर्तन का हवाला जे डी ए ने अपने आवंटन फाइल में कही अंकित नहीं किया ।
यह कि उक्त बेशकिमती भूमि को राज्य सरकार
ने राज्य में टूरिज्म को बढ़ावा देने ,1500 लोगो को तीन साल में रोज़गार देने , 400 करोड़ रुपए निवेश करने के लिए २००८ में आवंटित किया था
पर ना तो परियोजना का विकास हुआ और ना ही टूरिज्म को बढ़ावा मिला /
यह की तीसरी कंपनी में उक्त लीज को जे डी ए के अनुमति के बिना ही बैंक में गिरवी रख लगभग 100 करोड़ रुपये डकार लिए , जे डी ए की बकाया लीज़ राशि बीस करोड़ रुपए भी अदा नहीं किए /
पीड़ितो के आधिवक्ता शैलेश नाथ सिंह ने बताया कि तीसरी कंपनी ने लीज़ अपने नाम होने के बाद बिना जे डी ए की अनुमति के सेकडो सम्मान से जे डी ए का फ़र्ज़ी अनुमोदित नक़्शा दिखा कर दुकान और विला का बेचान करार कर उनको मासिक रिटर्न का प्रलोभन देकर 200 करोड़ रुपए ठग लिए ।
उक्त प्रकरण में पीड़ितो ने जयपुर के विभिन्न थाने में इनके विरुद्ध 17 मुक़दमे दर्ज करवा रखे है वर्ष 2018 से पर धन बल के कारण पुलिस कोई करवाई नहीं कर रही थी ।इसी तरह का दूसरा अपराध अनजान के साथ इन्ही आरोपियों में गुड़गांव में भी कर रखा है जिसने उनके ख़िलाफ़ 37 प्रकरण वहाँ भी दर्ज है ।
यह कि उक्त मामले में हरमादा पुलिस में कार्यवाही करते ही इस वर्ष दो सात में से दो आरोपियों को गिरफ़्तार कर लिया था और चार महीने से बाक़ी पाँच आरोपी फ़रार है पुलिस के अनुसार जबकि वो आरोपी गुड़गाँव कोर्ट में इसी तरह के प्रकरण में हाज़िर हो रहे है । बाक़ी आरोपी अपनी राजनीतिक पहुँच के कारण क़ानून के पकड़ से दूर है ।
यह कि एक fir में गिरफ़्तार होते ही आरोपियों ने अपने प्रभाव से परिवादी से राजी नाम कर उसके आधार पर fir क्वाश करने हेतु हाई कोर्ट में अर्ज़ी लगाई जिसने अन्य पीड़ितो द्वारा सुनवाई का अवसर प्रदान करने और समस्त रिकॉर्ड प्रेषित करने पर अदालत में उक्त आदेश दिया /
आरोपीगण आदतन सामाजिक अपराधी है और उच्च न्यायालय में भी इस अपराध को समाज विरुद्ध गंभीर अपराध माना है और एसे अपराधियों को बेल का लाभ दिया जाना भी उचित नहीं माना है /
आरोपियों में राज्य सरकार जे डी ए बैंक और आम जन को ठग कर पुरे समाज को चोट पहुँचाया है
कोर्ट ऑर्डर की प्रति साथ है
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