चैत्र नवरात्रि घटस्थापना की शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना की शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि
22 मार्च 2023 दिन बुधवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ हो रहा है। तो आइए जानते है,*पं.ज्ञान प्रकाश तिवारी जी* से किस शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करना उत्तम फलदायी होगा।
चैत्र नवरात्रि का पहला व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना सबसे ज्यादा विशेष मानी जाती है। घटस्थापना के लिए बेहद जरुरी है की आप अपने कलश को शुभ मुहूर्त के समय ही स्थापित करें। नवरात्रि का आरंभ बुधवार से हो रहा है। तो इस दिन अभिजीत मुहूर्त प्रयुक्त नहीं है। मीन और मिथुन लग्न में भी घट स्थापना कर सकते है। नवरात्रि की शुरुआत शुक्ल और ब्रह्म योग से हो रही है। घटस्थापना के लिए द्विस्वभाव लग्न को उत्तम माना जाता है। इसलिए इस दिन वैधृति योग मुहूर्त में घच और चित्रा नक्षत्र नहीं है। घटस्थापना के लिए ईशान कोण बहुत ही शुभ माना गया है। ईशान कोण में घट स्थापना करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है।
ऐसे करें घट स्थापना
घट स्थापना के लिए चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन मिट्टी का कलश लें और उसे शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित कर दें। घट स्थापना से पहले थोड़ा चावल पृथ्वी पर रख कर इसके बाद कलश इसके ऊपर रखें और कलश के ऊपर एक लाल चुनरी से नारियल बांधकर रख दें। याद रखें की एक रुपए का सिक्का जल में जरूर डाले। साथ ही कलश पर कलावा जरुर बांधे। कलश पर स्वास्तिक जरुर बनाएं। इस बात का ध्यान रखें की आप जहां कलश की स्थापना कर रहें। हैं। वह जगह साफ हो। साथ ही ध्यान रखें की पूजा स्थल के ऊपर कोई भी अलमारी या सामान न हो।
घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
22 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 39 मिनट के मध्य तक घट स्थापना करना उचित रहेगा राहुकाल को अशुभ मुहूर्त माना जाता है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें की आप उससे पहले ही घटस्थापना कर लें।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन
राहुकाल दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से दोपहर 01 बजकर 59 मिनट तक है। राहुकाल के समय में आप मां दुर्गा की पूजा और कलश स्थापना भूलकर भी न करें।
चैत्र नवरात्रि के दिन कई शुभ योग भी बन रहे है। जैसे, गजकेसरी योग, बुधादित्य योग, हंस योग, शश योग, धर्मात्मा और राज योग इस दिन रहेंगा। ऐसे शुभ संयोगों के कारण चैत्र नवरात्रि भक्तों के लिए विशेष फलदायी रहने वाला है।
नवरात्रि के प्रारंभ के समय में उत्तर भाद्रपद नक्षत्र रहेगा। शास्त्रों में इस नक्षत्र को ज्ञान खुशी और सौभाग्य का सूचक माना गया है। ये नक्षत्र सूर्योदय से लेकर दोपहर 3:32 तक रहने वाला है। इस नक्षत्र के स्वामी शनि और राशि स्वामी गुरु है। इस नक्षत्र के प्रभाव से सभी राशियों को शुभ फल मिलेंगे।
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