रायबरेली की जिलाधिकारी का गेट भी अतिक्रमण से नहीं बच पाता, ऐसे में रायबरेली को जाम की समस्या से जिला प्रशासन कैसे दिलाएगा निजात ?


रायबरेली की जिलाधिकारी का गेट भी अतिक्रमण से नहीं बच पाता, ऐसे में रायबरेली को जाम की समस्या से जिला प्रशासन कैसे दिलाएगा निजात ?


ज्ञान प्रकाश तिवारी की कलम से ,,रायबरेली
देश का दर्पण 

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*जब तक नहीं हटेंगी अवैध दुकान, तब तक नहीं मिलेगा जाम से निदान*
*जिला प्रशासन के ढुलमुल रवैये के कारण जाम को मिलता है आमंत्रण, रायबरेली की जनता को जाम की समस्या से जूझना पड़ता है*
हम आपको बताते चलें रायबरेली का कोई भी ऐसा चौराहा नहीं जहां पब्लिक को जाम की समस्या से ना जूझना पड़े और इसका सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण बना हुआ है लोगों ने सबको तक अतिक्रमण कर रखा है गाड़ियां सड़कों के किनारे खड़ी रहती है जिससे सड़कों पर जाम की समस्या बनी रहती है सड़कों के किनारे दुकानें लगती है रायबरेली का ऐसा कोई चौराहा नहीं जहां सड़कों के किनारे वाहन खड़े ना मिले रायबरेली का सबसे व्यस्ततम चौराहा बस स्टॉप दीवानी कचहरी घंटाघर सुपर मार्केट चंद्रपुर मंदिर के सामने ऐसे कई चौराहे जहां सड़कों के किनारे बाहर खड़ा करके जाम की समस्या बनी रहती है हम आपको बताते चलें दीवानी कचहरी एरिया में लगता है शहर का सबसे बड़ा जाम

- लोनिवि की जमीन पर नगर पालिका ने कैसे कर दिया अवैध आवंटन

- आवंटन निरस्त कर दुकानें हटवायी जायें तभी रायबरेली की जनता को शहर के जाम के झाम से मुक्ति दिलाई जा सकती है 
- न्यायालय की सुरक्षा में सेंध का काम कर रही है, यह सारी दुकानें

 शहर रायबरेली के *दीवानी कचेहरी के गेट नं0-1 के बाहर बनी दोनों पटरियों की अवैध दुकानें दाद में खाज का काम कर रही हैं* उल्लेखनीय है कि उक्त मार्ग अभिलेखों में रायबरेली-हैदरगढ़ मार्ग के नाम से प्रदर्शित है एवं लोक निर्माण विभाग की मिल्कियत है, अब प्रश्न यह है कि लोनिवि की जमीन पर नगर पालिका परिषद की दुकानें कैसे आवंटित हो गयीं। वर्तमान समय में शहर में सबसे ज्यादा जाम इसी क्षेत्र में लगता है, फरियादी न्याय की आस में दीवानी कचेहरी आता है और अपने साधन को लगाने के लिए घंटो मशक्कत करता है, जैसे-तैसे यदि लगा भी लेता है तो सबसे पहले दुकानदारों से अमादा फौजदारी होती है, और यदि उनसे बचा तो पुलिस विभाग द्वारा ई-चालान का शिकार बेचारा हो जाता है, फलस्वरूप न्याय की चौखट पर अन्याय के ताण्डव की स्पष्ट तस्वीर दिखती है। यही दुकानें न्यायालय की सुरक्षा में सेंध का काम कर रही है, कोई भी अपराधिक व्यक्ति इन दुकानों के सहारे कचेहरी परिसर के अन्दर आपत्तिजनक वस्तुओं को पहुँचा सकता है अथवा फेंक सकता है, जिससे अप्रिय घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता, दीवानी कचेहरी बमकाण्ड एवं गोलीकाण्ड का भी शिकार हो चुकी है, लाकअप के अन्दर हत्या भी हो चुकी है। सुरक्षार्थ एवं जनता के हितों को देखते हुए अविलम्ब इन दुकानों को हटाया जाना न्याय संगत होगा। लेकिन देखना यह भी है कि क्या एक बार पुनः अतिक्रमण हटाओ अभियान सिटी मजिस्ट्रेट पल्लवी मिश्रा के नेतृत्व में चलेगा या मात्र खानापूर्ति बनकर रह जायेगा लेकिन आज एक बार फिर रायबरेली की जनता रायबरेली के तेजतर्रार सदर एसडीएम शशांक त्रिपाठी को याद कर रहा है जिनकी ताकत से जाए बिल्ली की जनता को जाम की समस्या से मुक्ति मिली थी और उन्होंने काफी हद तक रायबरेली की जनता को जाम की समस्या से निजात दिलाई थी लेकिन आज फिर दिल्ली की जनता को जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है तो ऐसे में कैसे जाम की समस्या से निजात मिलेगी यह तो रायबरेली का प्रशासन ही जाने और फिलहाल अब देखना है रायबरेली का । प्रशासनिक अधिकारियों की अब तक की कुशलता तो फिलहाल भविष्य के पन्नों में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित कराएगी या ऐसे ही रायबरेली की जनता जाम की समस्या से जूझती रहेगी

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