18/12/18 वि वित्त मंत्री ने राज्य सभा में स्वीकार किया कि नोटों की प्रिंटिंग पर 8000 करोड़ रुपए खर्च हुए और चार लोगों की जान गई
नोट बंदी वाले साल 2016 17 में नोटों की प्रिंटिंग की लागत बढ़ कर 7965 करोड़ रुपए तक हो गई थी, 2017 18 में यह 4912 करोड़ रुपिया रही थी, सरकार ने संसद में यह स्वीकार किया कि नोटबंदी के बाद एसबीआई के 3 कर्मचारियों और लाइन में लगे एक ग्राहक की जान चली गई, जेटली ने राज्यसभा में लिखित जवाब में नोट बंदी से पहले 2015-2016 मैं नोटों की प्रिंटिंग पर 421 करोड रुपए खर्च हुए थे नोटों को देशभर में भेजने पर 2015 -16 /2016-17/2017-18 मैं क्रम सा 109 करोड़ और 147 करोड़ और 115 करोड रुपए खर्च हुए, मंत्री ने नोट बंदी से उद्योग और रोजगार पर हुए असर का कोई अध्ययन कराने के सवाल पर कहा कि सरकार ने इस संबंध में कोई विशिष्ट अध्ययन नहीं कराया है, सरकार ने इस बात से भी इनकार किया कि बाहर हो रह गए 500 और ₹1000 के नोटों को वापस लेने पर विचार हो रहा है, लोगों के हुए मौत का व्यवहार सिर्फ एसबीआई ने दिया है,
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