22/12/18, अब दस एजेंसियों को होगी किसी भी कंप्यूटर पर निगरानी का अधिकार, विपक्ष ने किया हंगामा विपक्ष ने कहा या जासूसी है

 सावधान आपका कंप्यूटर सरकार की निगरानी में!  केंद्र सरकार ने ₹10  खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को देश के किसी भी कंप्यूटर की निगरानी करने का अधिकार दिया है,  केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर  व इनफार्मेशन सिक्योरिटी  डिवीजन  ने कंप्यूटर  डाटा की जांच के संबंध में आदेश पत्र जारी किए हैं, गृह सचिव राजीव गोवा की ओर से जारी  आदेश के मुताबिक सुरक्षा एजेंसी किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में  स्टोर किए गए किसी भी दस्तावेज को देख सकती है विपक्षी दलों ने इस आदेश को निजता के अधिकार का उल्लंघन  और जासूसी  करने की कोशिश का आरोप लगाया है ,  कानून मंत्री रविशंकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवादियों और देश विरोधी तत्वों पर अंकुश लगाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को यह अधिकार दिया गया है                  विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार जांच एजेंसियों का दुरूपयोग कर रही है   उन्होंने कहा कि यह देश में अघोषित आपातकाल लागू करने जैसा है,  केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरूपयोग कर रही है   यह काला  कानून और तानाशाही के समान है,                              सरकार ने कहा    यह जांच  सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ही है,  या आदेश हर व्यक्तिऔर हर कंप्यूटर पर लागू नहीं होता, और यह जांच  केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में ही की जाएगी, यह आदेश 2009 में  यूपीए सरकार के समय बनाए गए कानून पर ही आधारित है                  इस कानून के बारे में कुछ जानना आपके लिए जरूरी है, क्या आपके कंप्यूटर की जासूसी होगी  तो हा हो सकती है,  लेकिन हर मामले में जांच एजेंसियों को  गृह  सचिव से पूर्व अनुमति लेनी होगी,  आपको बता दें कि यह आदेश क्यों जारी किया गया आईटी एक्ट में प्रावधान है कि  देश की एकता अखंडता पर खतरा होने की स्थिति में कंप्यूटर की निगरानी की जा सकती है,   हर हाल में   सेंधमारी नहीं होगी,  कंप्यूटर या मोबाइल डाटा में   सेंधमारी का आदेश तभी दिया जा सकता है  जब गृह मंत्रालय के पास  अन्य साधनों से सूचना नहीं मिल पाने का ठोस आधार होगा                                               आपको बताते चले कि इस आदेश में नया और अलग क्या है कहना मुश्किल है  की सरकार समय-समय पर ऐसे आदेश जारी करती है ,सरकार ने कहा कि इसे इसमें नया कुछ नहीं है बस एजेंसियों की संख्या बढ़ाई गई है!    एक बार में 60 दिन तक   और दूसरी बार चार दिन  बढ़ाया जा सकता है लेकिन 180 दिन से ज्यादा समय तक नहीं,   रिव्यू कमेटी सुरक्षा एजेंसी की सेंधमारी की मांग को खारिज कर सकती है

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