28/12/18, राजस्थान में यूरिया की किल्लत, चुनाव से पहले का संकट, चुनाव के बाद भी दूर नहीं
केंद्र और राज्य स्तर पर तालमेल के अभाव ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी, यूरिया की किल्लत के कारण प्रदेश के 12 जिलों के किसान आंदोलनरत हैं आपको बता दें कि चुनाव से पहले ही प्रदेश में यूरिया की किल्लत सामने आने लगी थी, तब सरकार और अफसरों ने ही इस ओर ध्यान नहीं दिया, ऐसे में चुनाव खत्म होते ही अचानक यूरिया की किल्लत ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, कृषि विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो सामने आएगा अगर यूरिया कि दिसंबर जैसी आपूर्ति अक्टूबर और नवंबर में हो जाती तो किसानों को यूरिया की कमी से परेशान नहीं होना पड़ता, कृषि विभाग ने केंद्र सरकार से रवि की फसल के लिए 12 लाख मेट्रिक टन यूरिया की मांग का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन 3 माह अक्टूबर-नवंबर दिसंबर में प्रदेश में 7 लाख 8 हजार 376 मैट्रिक टन यूरिया आपूर्ति हुआ! केंद्र सरकार ने राजस्थान में रवि की सीजन में 12 लाख मेट्रिक टन यूरिया आवंटित किया था, लेकिन अभी तक सिर्फ 7 लाख मेट्रिक टन ही भेजा गया, राज प्रदेश में अक्टूबर-नवंबर और दिसंबर माह में यूरिया का सबसे ज्यादा मांग रहता है लेकिन केंद्र सरकारी तीन महीनों में आवंटित कोटे से 55 हजार मैट्रिक ट्रेन कम आवंटित किया है, इसलिए कोटा, बूंदी ,झालावाड़, बारा , चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, करौली, सवाई माधोपुर, सीकर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों में किसान आंदोलन पर उतारू है! राज्य सरकार ने अक्टूबर और नवंबर माह की डिमांड के अनुसार तैयारी नहीं की जिसके कारण इन 3 महीनों में राज्यों को आवंटित यूरिया पूरा नहीं मिल पाया, किसान जब सड़क पर आ गए तब दिसंबर महीने में सरकार को होश आया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, इस माह आवंटन के मुकाबले आपूर्ति तो बढ़ा दी गई , लेकिन वह मांग के अनुरूप नहीं हुई!
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