एमबीएस अस्पताल में 10हजार रूपए मरीज के परीजन के चोरी ।18/10/19


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राजस्थान / डेंगू पीड़ित बेटे को एसडीपी के लिए चाहिए थे 10 हजार रुपए, रात को वार्ड से ही चोरी हो गया पर्स डेमो पिक। डेमो पिक। मानवीय आधार पर डॉ. मीणा ने मरीज की फ्री एसडीपी की व्यवस्था की देश का दपॅण न्यूज:  Oct 18, 2019,  कोटा. एमबीएस अस्पताल में चोरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। मेल मेडिकल वार्ड में भर्ती एक मरीज के तीमारदारों के पर्स व मोबाइल बुधवार रात चोरी हो गए। सुबह मरीज को एसडीपी के लिए 10 हजार रुपए की जरूरत थी, लेकिन परिजनों के पास कोई पैसा नहीं था। ऐसे में एक बारगी वे सकते में आ गए, हालांकि बाद में भास्कर की पहल पर उनके लिए फ्री एसडीपी की व्यवस्था हुई। मध्यप्रदेश के गुना के रहने वाले महेंद्र भदौरिया ने बताया कि मेरा भाई मयंक (22) शनिवार से एमबीएस अस्पताल में भर्ती है। उसे डेंगू पॉजिटिव आया है और प्लेटलेट लगातार गिर रही है। बुधवार की जांच में प्लेटलेट 18 हजार तक रह गई तो डॉक्टर ने तत्काल एसडीपी की जरूरत बताई। गुरुवार सुबह हमें एसडीपी करानी थी, लेकिन उससे पहले ही पर्स और मोबाइल चोरी हो गया। पर्स में 19 हजार 700 रुपए व दो एटीएम थे। जैसे ही सुबह पर्स गायब मिला तो हम सकते में आ गए। भाई की जिंदगी का सवाल था, इसके लिए सभी जगह अनुरोध किया। महेंद्र व उसकी मां एमबीएस अस्पताल में एसडीपी फ्री कराने के लिए भटक रहे थे। इसी बीच भास्कर रिपोर्टर को उन्होंने पूरी व्यथा बताई। मामले की गंभीरता को देखते हुए भास्कर ने ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. एचएल मीणा से अनुरोध किया तो मानवीय आधार पर डॉ. मीणा ने मरीज की फ्री एसडीपी की व्यवस्था कर दी। इतना ही नहीं, एमबीएस ब्लड बैंक के स्टाफ ने मरीज के लिए अपने स्तर पर एसडीपी डोनर की व्यवस्था भी की, क्योंकि महेंद्र व उसकी मां कोटा में किसी से परिचित नहीं थे। शाम को एसडीपी प्रोसेस पूरा होने के बाद मरीज को एसडीपी चढ़ी, तब मां-बेटे की जान में जान आई। उन्होंने भास्कर, अस्पताल प्रशासन और कोटा के स्वैच्छिक रक्तदाताओं का आभार व्यक्त किया। चोरियों पर नहीं लगाम, न सिक्योरिटी गार्ड कुछ कर पाते, न पुलिस चौकी पर होती सुनवाई एमबीएस अस्पताल में चोरों का आतंक इस कदर बढ़ चुका है कि रोजाना कोई छुटपुट वारदात हो रही है। आउटडोर में लाइनों में खड़े मरीजों की जेबें साफ होती है तो वार्डों में मरीजों के तीमारदारों के सामान चोर ले जा रहे हैं। यह स्थिति तो तब है, जब अस्पताल में अलग से पुलिस चौकी संचालित है और सिक्योरिटी के नाम पर अस्पताल प्रशासन ने 50 से ज्यादा गार्ड लगा रखे हैं, जिनका लाखों रुपए सालाना खर्च होता है। प्रशासनिक स्तर से बार-बार निर्देश मिलने के बावजूद वार्डों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए जा रहे, जबकि चोरियां सबसे ज्यादा वार्डों में ही हो रही है।www.deshkadarpannews.com

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