काश्मीर में EUसांसदों के दौरे के बिच बड़ा हमला 6 कि हत्या ।30/10/19


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   जम्मू  कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के दौरे के बीच अब यूएन पैनल ने कही ये बात. देश का दपॅण न्यूज: Last Modified: Tue, Oct 30 2019.  संयुक्त राष्ट्र के एक पैनल ने अगस्त में भारत सरकार की तरफ से जम्मू कश्मीर में विशेष प्रावधान देनेवाले अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद वहां की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। इसके साथ ही, सरकार से कहा है कि वे वहां पर पूरी तरह से सामान्य स्थिति बहाल करें और लोगों के अधिकार उन्हें वापस दें। यूएन पैनल की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब दो दिन बाद केन्द्र शासित प्रदेश के तौर पर जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग भागों में 31 अक्टूबर को बांटा जाना है। पैनल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद काफी सख्त प्रतिबंध लगाए गए थे। यूएन पैनल ने कहा कि अथॉरिटीज ने जम्मू और लद्दाख में ‘अघोषित कर्फ्यू’ को लगाने के कुछ ही दिनों बाद उस हटा लिया। लेकिन, कश्मीर के एक बड़े हिस्से में अभी भी यह जारी है और लोगों के खुलेआम घूमने पर पाबंदी लगी हुई है। 370 हटने के बाद कश्मीर में बड़े आतंकी हमले में 5 मजदूरों की हत्या।             www.deshkadarpannews.com                   370 के बाद कश्मीर में बड़ा हमला, आतंकियों ने 5 बाहरी मजदूरों को गोलियों से भूना ।देश का दपॅण न्यूज:  श्रीनगर, 29 October, 2019 आतंकियों ने कुलगाम में हमला किया है, जिसमें 5 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि एक घायल है. मारे गए सभी मजदूर कश्मीर से बाहर के हैं. 370 के बाद कश्मीर में बड़ा हमला, आतंकियों ने 5 बाहरी मजदूरों को गोलियों से भूना सांकेतिक तस्वीर आतंकियों ने कुलगाम में किया हमलामजदूरों पर किया गया हमला, 5 की मौत जम्मू और कश्मीर में आतंकियों की बौखलाहट एक बार फिर सामने आई है. आतंकियों ने कुलगाम में हमला किया है, जिसमें 5 मजदूरों की मौत हो गई है. जबकि एक घायल है. मारे गए सभी मजदूर कश्मीर से बाहर के हैं. जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से घाटी में ये सबसे बड़ा आतंकी हमला है. आतंकियों की कायराना हरकत से साफ है कि वे कश्मीर पर मोदी सरकार के फैसले से बौखलाए हुए हैं और लगातार आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. जम्मू और कश्मीर पुलिस ने कहा कि सुरक्षा बलों ने इस इलाके की घेराबंदी कर ली है और बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चल रहा है. अतिरिक्त सुरक्षा बलों को बुलाया गया है. माना जा रहा है कि मारे गए मजदूर पश्चिम बंगाल के थे. ये हमला ऐसे समय हुआ है जब यूरोपियन यूनियन के 28 सांसद कश्मीर के दौरे पर हैं. सांसदों के दौरे के कारण घाटी में सुरक्षा काफी कड़ी है. इसके बावजूद आतंकी बौखलाहट में किसी ना किसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं. डेलिगेशन के दौरे के बीच ही श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर के कुछ इलाकों में पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं. 48 घंटे का अलर्ट कुलगाम में आतंकी हमले से पहले सुरक्षा एजेंसियों ने 48 घंटे का अलर्ट भी जारी किया था. अलर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर और देश की राजधानी दिल्ली में आतंकवादी बड़े हमले की फिराक में हैं. आतंकियों को उनके आकाओं ने मरो या मारो का आदेश दिया है. आतंकियों के निशाने पर जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के कई बड़े सरकारी दफ्तर हैं. कश्मीर में खुला घूमना चाहता था EU सांसद, शर्त के बाद रद्द हुआ निमंत्रण बताया जा रहा है कि आतंकी हर हाल में 31 अक्टूबर को केंद्र शासित प्रदेश का नोटिफिकेशन जारी होने से पहले जम्मू-कश्मीर में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देना चाहते हैं. अलर्ट में जम्मू-कश्मीर के अलावा राजधानी दिल्ली में भी सतर्कता बरतने को कहा गया है. निशाने पर आम नागरिक गौरतलब है कि अनुच्छेद 370 को इस साल 5 अगस्त को ही निष्प्रभावी किया गया था. इसके बाद से ही आतंकी बौखलाए हुए हैं. 370 हटाए जाने के बाद आतंकी सेब व्यापारी और मजदूरों को खासतौर से निशाना बना रहे हैं. सोमवार को ही आतंकियों ने अनंतनाग में ट्रक डाइवर की हत्या कर दी. मृतक का नाम नारायण दत्त है. 7 दिनों के अंदर ट्रक ड्राइवर पर ये चौथा हमला था. इससे पहले शोपियां में तीन हमले हुए थे. एक अज्ञात हथियारबंद आतंकी ने अनंतनाग के कंडीजल इलाके में इस वारदात को अंजाम दिया. मृतक जम्मू कश्मीर के रियासी जिले का ही रहने वाला था. कश्मीर में EU सांसदों की टीम को लाने वाले NGO को कौन देता है पैसा? इससे पहले आतंकियों ने सेब लदे दो ट्रकों में आग लगा दी और ड्राइवर को गोली मार दी थी. इसी महीने सोपोर में भी आतंकियों ने सेब से भरे ट्रक को आग लगा दी थी. इसके अलावा राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले 40 वर्षीय ट्रक ड्राइवर शरीफ खान की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी और ट्रक को आग के हवाले कर दिया था । www.deshkadarpannews.com                          जानिए- कौन हैं माडी शर्मा, जिन्होंने यूरोपीय सांसदों को कश्मीर आने का दिया था न्योता कांग्रेस सांसद और प्रवक्ता मनीष तिवारी ने पूछा है कि कौन इस रहस्यमयी एनजीओ WESTT को संचालित करता है, जो कि यूरोपीय यूनियन के सांसदों के दौरे और मेजबानी को फंडिंग कर रहा है।देेश का दपॅॅण न्यूज़ Last Updated: 30 Oct 2019  जानिए- कौन हैं माडी शर्मा, जिन्होंने यूरोपीय सांसदों को कश्मीर आने का दिया था न्योता कश्मीर दौरे पर यूरोपीय यूनियन के सांसद (फोटो- PTI) नई दिल्ली: विदेशी सांसदों के कश्मीर दौरे पर राजनीति गर्म है. इस दौरे को लेकर विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार से सवाल पूछ रही है कि जब भारतीय सांसदों को कश्मीर नहीं जाने दिया जा रहा है तो विदेशी को जाने की अनुमति क्यों दी गई? यही नहीं विपक्ष का यह भी कहना है कि सरकार ने कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण कर दिया है. वहीं सत्तारूढ़ बीजेपी का कहना है कि किसी भी सांसद को कश्मीर जाने से नहीं रोका गया. इस वार-पलटवार के बीच एक नाम की खूब चर्चा हो रही है. यह नाम है माडी शर्मा. खुलासा हुआ है कि सभी 27 यूरोपीय सांसदों को माडी शर्मा के एनजीओ ने न्योता भेजा था. माडी शर्मा ने ही सांसदों को पीएम से मिलवाने का प्रस्ताव दिया था. माडी शर्मा कौन हैं? माडी शर्मा वूमंस इकोनॉमिक एंड सोशल थिंक टैंक (WESTT) नाम के एनजीओ की प्रमुख हैं. शर्मा बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में रहनेवाली भारतीय मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं. माडी शर्मा के ट्विटर हैंडल पर दी जानकारी में ये खुद को 'सोशल कैपिटलिस्ट: इंटरनैशनल बिजनेस ब्रोकर, एजुकेशनल आंत्रप्रेन्योर ऐंड स्पीकर' बताती हैं. दावा है कि माडी शर्मा ने ही यूरोपियन यूनियन के 30 सांसदों को चिट्ठी लिखकर पीएम मोदी, एनएसए अजीत डोभाल से मिलवाने और कश्मीर ले जाने का न्योता दिया था. माडी शर्मा माडी ग्रुप के बैनर तले कई कंपनियों को चलाती हैं जिसमें से एक WESTT है. जिसके हवाले से यूरोपीय सांसदों को भारत आने का न्योता भेजा था। न्यूज़ रिपोॅटर  को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, माडी को इस काम के लिए सरकार की तरफ से संपर्क साधा गया था. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माडी शर्मा महत्वपूर्ण मुद्दों पर जागरुकता पैदा करने के लिए इस तरह के कई कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं. माडी शर्मा ने नई दिल्ली टाइम्स के लिए कई लेख भी लिखे हैं. हाल ही में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद माडी ने 'WHY DEMOLISHING ARTICLE 370 IS BOTH A VICTORY AND A CHALLENGE FOR KASHMIRI WOMEN' शीर्षक से एक लेख भी लिखा था जिसकी बड़ी चर्चा हुई थी. यही नहीं, माडी को संपर्क किए जाने के पीछे भी वजह ये थी कि माडी शर्मा यूरोपीय यूनियन के कंस्ट्रक्टिव बॉडी, यूरोपियन इकॉनोमिक एंड सोशल कमेटी की सदस्य हैं. लिहाजा वो यूरोपीय सांसद के सांसदों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं और इसी वजह से यूरोपीय संसद के तमाम सांसदों को न्योता भेज उन्हें भारत आने का काम वो कर सकती थीं. कश्मीर दौरे के बाद EU सांसदों ने कहा, ‘कश्मीर को अफगानिस्तान बनते नहीं देखना, विकास चाहते हैं यहां सूत्रों के मुताबिक, माडी के कश्मीर पर लिखे लेख में अनुच्छेद 370 को हटाने का पाकिस्तान के आंतकवाद से निपटने और राज्य के विकास के लिए उठाया गया सकारात्मक कदम बताया था. उससे सरकार को लगा कि ऐसे वक्त पर जब की तमाम अंतरराष्ट्रीय मीडिया कश्मीर को लेकर भारत पर सवाल उठा रही है और पाकिस्तान मुहीम चला रहा है, माडी शर्मा के जरिए यूरोपीय सांसदों का कश्मीर दौरा कराके इस मुहीम को पस्त किया जा सकता है. यही वजह है कि कुछ हफ्ता पहले ही माडी से संपर्क साधा गया था. जिसके बाद चीजें तय हुई और माडी ने यूरोपीय यूनियन के सांसदों को न्योते भेजे थे. लिहाजा ये बात बिल्कुल स्पष्ट है कि इस दौरे को लेकर जो कुछ भी हुआ वो सरकार की अपनी रणनीति थी और सरकार की सहमति से ही माडी शर्मा ने पूरा दौरा आयोजित करवाया. कांग्रेस और ओवैसी ने उठाए सवाल? जब आज एनजीओ के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूरोपीय यूनियन के सांसदों से सवाल पूछा गया तो सांसदों ने कुछ साफ-साफ जवाब नहीं दिए. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी गैर आधिकारिक यूरोपीय यूनियन प्रतिनिधिमंडल और एनजीओ को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने ट्वीट किया, “ये यूरोपीय यूनियन के सांसद जो जम्मू-कश्मीर का दौरा कर रहे हैं- उनके परिचय काफी दिलचस्प हैं और कौन इस रहस्यमयी एनजीओ WESTT को संचालित करता है, जो कि उनके दौरे और मेजबानी को फंडिंग कर रहा है. कोई अंदाजा है?” एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि यूरोपीय सांसदों का खर्च किसने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय ने उठाया? ये नहीं बताया गया. ओवैसी के ‘हिटलर’ आरोपों पर EU सांसदों ने कहा- ‘हम नाज़ी नहीं, हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं’     देशकादपॅणन्यूज.कामॅ             www.deshkadarpan.news

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