राजस्थान: खीवसर से नारायण बेनीवालऔर मंडावा से रीटा चौधरी की जित लगभग तय।24/10/19


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राजस्थान उपचुनाव / खींवसर से नरायण बेनीवाल और मंडावा से रीटा चौधरी की जीत लगभग तय, मतगणना जारी By election result on khinwsar and mandawa seat Rajasthan 2018 विधानसभा चुनाव में खींवसर से हनुमान बेनीवाल और मंडावा से नरेंद्र खींचड़ विधायक बने थे हनुमान बेनीवाल के नागौर सीट से और नरेंद्र खींचड़ के झुंझुनू सीट से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद दोनों सीटें खाली हुई। देश का दपॅण न्यूज: Oct 24, 2019,  जयपुर. राजस्थान उपचुनाव का परिणाम लगभग साफ हो गया है। यहां झुंझुनू जिले की मंडावा सीट पर रीटा चौधरी और नागौर की खींवसर सीट पर नरायण बेनीवाल ने जीत लगभग तय है। जहां रीटा चौधरी करीब 30 हजार वोटों से आगे चल रही हैं। वहीं नरायण बेनीवाल भी करीब 4 हजार वोटों से आगे हैं। खींवसर से आरएलपी के नारायण बेनीवाल और कांग्रेस के हरेंद्र मिर्धा में कड़ा मुकाबला रहा। वहीं मंडावा का मुकाबला एक तरफा रहा। खींवसर सीट राउंड नरायण बेनीवाल (आरएलपी) हरेंद्र मिर्धा (कांग्रेस) अंतर 1 3381 वोट 4477 वोट 1046वोटों से हरेंद्र मिर्धा आगे 2 6944 वोट 9189 वोट 2242 वोटों से हरेंद्र मिर्धा आगे 3 10592वोट 14025 वोट 3433वोटों से हरेंद्र मिर्धा आगे 4 15052वोट 17372वोट 2320वोटों से हरेंद्र मिर्धा आगे 5 19479वोट 21164वोट 1685वोटों से हरेंद्र मिर्धा आगे 6 24401वोट 24545वोट 144वोटों से हरेंद्र मिर्धा आगे 7 30040 वोट 27849वोट 2191 वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 8 35132वोट 30264वोट 4868वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 9 39738वोट 33833वोट 5904वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 10 43895वोट 38465वोट 5430वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 11 48577वोट 42112वोट 6465वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 12 52695वोट 45915वोट 6780वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 13 56087वोट 48846वोट 7241वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 14 60417वोट 52643वोट 7774वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 15 62728वोट 57095वोट 5633वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 16 66266वोट 62505वोट 3761वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 17 70073वोट 65458वोट 4576वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 18 74300वोट 70472वोट 3828वोटों से नरायण बेनीवाल आगे 19 78100वोट 73502वोट 4598 कुल वोट मंडावा सीट राउंड सुशीला सिंगड़ा (भाजपा) रीटा चौधरी(कांग्रेस) अंतर 1 2837 वोट 4981 वोट 2144 वोटों से रीटा चौधरी आगे 2 4906 वोट 9205 वोट 4299 वोटों से रीटा चौधरी आगे 3 7737 वोट 13924 वोट 6187 वोटों से रीटा चौधरी आगे 4 10581 वोट 18326 वोट 7745 वोटों से रीटा चौधरी आगे 5 13119 वोट 22994 वोट 9875 वोटों से रीटा चौधरी आगे 6 16075 वोट 27651 वोट 11576 वोटों से रीटा चौधरी आगे 7 19073 वोट 32324 वोट 13251 वोटों से रीटा चौधरी आगे 8 22116वोट 36679वोट 14563 वोटों से रीटा चौधरी आगे 9 24493 वोट 40261 वोट 15768 वोटों से रीटा चौधरी आगे 10 26906 वोट 44747 वोट 17841 वोटों से रीटा चौधरी आगे 11 29742 वोट 49009 वोट 19267 वोटों से रीटा चौधरी आगे 12 32201 वोट 52542 वोट 20341 वोटों से रीटा चौधरी आगे 13 34882 वोट 56766 वोट 21884वोटों से रीटा चौधरी आगे 14 37699वोट 61137वोट 23438वोटों से रीटा चौधरी आगे 15 40236 वोट 65924वोट 25688वोटों से रीटा चौधरी आगे 16 43243 वोट 69252 वोट 26009 वोटों से रीटा चौधरी आगे 17 45780 वोट 74039 वोट 28259 वोटों से रीटा चौधरी आगे 18 49045 79073 वोट 30028वोटों से रीटा चौधरी आगे 19 20 21 22 हनुमान बेनीवाल के भाई हैं नरायण,हरेंद्र मिर्धा के पिता रहे दिग्गज नेता खींवसर से उम्मीदवार नरायण बेनीवाल आरएलपी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल के भाई हैं। हनुमान बेनीवाल यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वहीं हरेंद्र मिर्धा कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राम निवास मिर्धा के बेटे हैं। हरेंद्र मिर्धा 1980 में मुंडवा से पहली बार विधायक बने थे। लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुईं थी दोनों सीटें 2018 विधानसभा चुनाव में खींवसर से हनुमान बेनीवाल और मंडावा से नरेंद्र खींचड़ विधायक बने थे,जिसके बाद हनुमान बेनीवाल के नागौर सीट से और नरेंद्र खींचड़ के झुंझुनू सीट से लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद दोनों सीटें खाली हो गई थी। खींवसर सीट हनुमान बेनीवाल का गढ़ मानी जाती है। वे यहां से तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। मंडावा : अब तक सिर्फ एक बार जीती भाजपा मंडावा में 1952 से लेकर अब तक हुए चुनावों में भाजपा सिर्फ एक बार 2018 में ही विधानसभा चुनाव जीती है। इस सीट पर विकास बड़ा चुनावी मुद्दा है, लेकिन कर्मचारियों के तबादले भी इस समय मुद्दा बन गए हैं। सुशीला (भाजपा) मजबूती : तीन बार से प्रधान, इसलिए ग्राउंड कनेक्ट अच्छा। भाजपा आक्रामक प्रचार कर रही है। कमजोरी : पार्टी में पैराशूटर की इमेज। पहले कांग्रेस में थीं, लेकिन टिकट मिलने से पहले भाजपा में आईं। रीटा (कांग्रेस) मजबूती : प्रदेश में कांग्रेस की सरकार। डोर-टू-डोर कैंपेनिंग। तीन बार से चुनाव लड़ रही हैं। एक बार जीतीं, 2 बार हारी। थोड़ी सहानुभूति है। कमजोरी : भितरघात का संकट। प्रचार में अकेली पड़ी। पार्टी के विधायक बृजेंद्र ओला व राजकुमार से उनकी अदावत किसी से छिपी नहीं है। खींवसर : 40 साल पुरानी सियासी लड़ाई 40 साल पुरानी मूंडवा की लड़ाई खींवसर आ पहुंची है। मूंडवा में 1980 में बेनीवाल के पिता रामदेव को हरेंद्र मिर्धा ने हराया था। 1985 में रामदेव ने मिर्धा को हराया। मूंडवा व नागौर से ही 2008 में खींवसर सीट बनी। अब रामदेव के बेटे नारायण व मिर्धा में मुकाबला है। यहां खास चुनावी मुद्दा नहीं। नारायण बेनीवाल (आरएलपी) मजबूती : इलाके में अपने भाई हनुमान का सारा काम वही संभालते हैं इसलिए पब्लिक कनेक्ट पहले से है। भाई के उलट सॉफ्ट इमेज है। कमजोरी : परिवारवाद का ठप्पा। भाजपा के नेता तो इनके साथ जुटे हैं, लेकिन इनके काेर वोटरों में कुछ नाराजगी है। हरेंद्र मिर्धा (कांग्रेस) मजबूती : प्रदेश में कांग्रेस की सरकार। विरोधी खेमे में भी इमेज पॉजिटिव। साइलेंट कैंपेन। आखिरी चुनाव, सहानुभूति भी मिल सकती है। कमजोरी : उम्र आड़े आ रही। उनके सामने आधी उम्र के प्रत्याशी, जो प्रचार कर रहे हैं कि जो आपके लिए भागदौड़ न कर सके, उसे वोट क्यों दें।                                            www.deshkadarpannews.com                              

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