डीडवाना : कस्टोडियन भूमि का बहुचर्चित मामला,19 गांवों के सैकड़ो किसान पहुंचे जिला कलेक्ट्रेट,
*डीडवाना से खबर*
डीडवाना : कस्टोडियन भूमि का बहुचर्चित मामला,
19 गांवों के सैकड़ो किसान पहुंचे जिला कलेक्ट्रेट,
कस्टोडियन भूमि नियमन आवंटन किसान संघर्ष समिति ने जिला कलक्टर से किसानों को जमीन का आवंटन करने की रखी मांग,
जिला कलक्टर डॉ महेन्द्र खड़गावत को ज्ञापन सौंपकर की मांग,
विधायक युनुस खान ने भी राजस्व मंत्री से मिलकर उठाया था कस्टोडियन जमीनों का मुद्दा,
राजस्व मंत्री ने जिला क्लक्टर को दिए मामले की जांच के निर्देश
एंकर - डीडवाना में कस्टोडियन जमीनों को सरकारी घोषित करने के बहुचर्चित मामले को लेकर जहां 10 नवम्बर को जिला कलेक्ट्रेट के सामने महापड़ाव का ऐलान किया गया है। वहीं दूसरी ओर आज क्षेत्र के 19 गांवों के सैकड़ो पीड़ित किसान जिला कलक्टर से मिले और राजस्व मंत्री के निर्देशानुसार पीड़ित किसानों को पुनः उनकी जमीनें सुपुर्द करने की मांग की।
इस मौके पर किसानों ने जिला कलक्टर को बताया कि डीडवाना विधायक यूनुस खान ने राजस्व मंत्री हेमंत मीणा से मुलाकात कर डीडवाना में शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित कस्टोडियन जमीनों को वास्तविक कब्जाधारी किसानों को कानूनन नियमन व आवंटन करने की मांग की थी।
यूनुस खान ने राजस्व मंत्री को बताया कि राजस्थान के 10 जिलों के 8695 कब्जाधारी किसानों को कस्टोडियन जमीनों का आवंटन किया जा चुका है, लेकिन डीडवाना जिले में आज तक इन जमीनों का किसानों को आवंटन नहीं किया गया। जिस पर राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला कलक्टर को इस मामले की तथ्यात्मक व सकारात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
किसानों ने बताया कि भारत विभाजन के दौरान 1947 में बड़ी संख्या में मुस्लिम परिवार पाकिस्तान चले गए थे। उनके पलायन के बाद डीडवाना के लगभग 19 गांवों में उनकी ज़मीनों को कस्टोडियन भूमि के रूप में दर्ज किया गया था। इन जमीनों को कुछ माह पहले जिला प्रशासन ने अपने संरक्षण में लेना शुरू किया था। जिसे लेकर काफी विरोध हुआ था। अब इस जमीनों को सरकारी कार्यालयों के लिए आवंटित करने का भी विरोध किया जा रहा है। इन जमीनों पर काबिज किसानों का कहना है कि इन जमीनों पर आजादी से पूर्व और आजादी के बाद से सभी वर्गों के किसान खेती करते आ रहे है। यह जमीने उनकी पुश्तैनी जमीन है, जिन पर वह 78 वर्षों से खेती कर रहे हैं। कई जमीनों पर भवन बन हो चुके हैं और घनी आबादी बस चुकी है। अब इन जमीनों को गलत तरीके से सरकारी घोषित करना किसानों के हितों पर कुठाराघात है। ऐसे में राजस्व मंत्री के निर्देशानुसार इस मामले की सकारात्मक रिपोर्ट तैयार की जाए, ताकि किसानों को न्याय मिल सके।
(*बाइट-01- डॉ मुतलिब कोतवाल प्रतिनिधि, किसान नियमन संघर्ष समिति*)
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