133 साल पूर्व छोटीकाशी में शुरू हुई थी श्रीरामलीला! वर्ष 18 89 में राव मंशाराम ने कराया था शुभारंभ

133 साल पूर्व छोटीकाशी में शुरू हुई थी श्रीरामलीला!
वर्ष 18 89 में राव मंशाराम ने कराया था शुभारंभ



देश  का दर्पण/आशीष कुमार तिवारी।

गोला गोकर्णनाथ खीरी। भोले बाबा की प्रिय नगरी छोटी काशी मे श्री राम की लीला यहां आबादी होने के 1 वर्ष बाद वर्ष 18 89 में राव मंशाराम ने शुरू कराई थी। शिव पार्वती द्वारा किसी न किसी रूप में श्री रामलीला देखने की मान्यता होने के कारण यहां की श्री रामलीला ने इस जिले और आसपास के जिले में भी प्रसिद्धि प्राप्त की।
गोला गोकर्णनाथ पर शोध प्रबंध लिखने वाले साहित्यकार लोकेश कुमार गुप्त ने बताया कि वर्ष18 87 में गोकर्णेश्वर शिवालय के दक्षिण 3 कोस दूर गोलीहार गांव अकाल पड़ने से उजड गया तो गांव के लोग शिवालय के समीप धर्मशालाओं में आ गए। वर्ष 18 89 में राव मंशाराम ने गांव को बसाया उन्होंने ही श्री रामलीला शुरू करवाई। पहले श्री रामलीला प्रदर्शन के लिए श्री रामलीला समिति का गठन किया गया। 1936 में श्री रामलीला प्रदर्शन का जिम्मा श्री रामायण सभा ने संभाला ,सात साल बाद फिर श्री रामलीला समिति ने प्रबंधन शुरू किया तबसे श्री रामलीला समिति प्रदर्शन का जिम्मा संभाले हैं।
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वर्ष 1924 में दान में मिला श्री रामलीला भवन
श्री रामलीला के प्रदर्शन से प्रभावित होकर वर्ष 1924 में महोली सीतापुर के मूल निवासी गुजराती ब्राह्मण गोकर्ण प्रसाद और नारायण लाल ने भगवान स्वामी के नाम दान पत्र लिखकर अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री कराई थी।दान पत्र में उन्होंने लिखा है कि उनके भवन से ही श्री रामलीला का उठाला होता है इसलिए वह अपनी संपत्ति को भगवान के नाम दे रहे हैं दान लेख में लिखा है कि श्री रामलीला समिति संपत्ति अपने अधिकार में रखे इसे किसी को बेचने और देने का अधिकार नहीं है समिति ने वर्ष 1929 में विशाल द्वार और कमरों का निर्माण करवाया। वर्ष 1973 में श्री रामलीला समिति के अध्यक्ष राधेश्याम केडिया और मंत्री बृजमोहन अवस्थी ने भवन बनाकर श्री राम जानकी सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल शुरू किया था स्कूल अब यहां से स्थानांतरित हो चुका है।
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ब्राह्मण बालक करते थे प्रदर्शन
पहले नगर के ब्राह्मण परिवार के बालक और युवक प्रशिक्षण प्राप्त कर श्री रामलीला के पात्रों का अभिनय करते थे ,रात में वही कलाकार धार्मिक नाटक का मंचन करते थे यह परंपरा अब समाप्त हो गई है श्री रामलीला प्रदर्शन मथुरा की नाट्य पार्टियों ने ले ली है ।लीला प्रदर्शन भी अब मैदान के बजाय मंच पर होने लगा है लेकिन रावण वध अभी भी मैदान में ही होता है।
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ऊंट गाड़ी और लहडू पर आते थे दर्शक
यहां की आकर्षक श्री रामलीला देखने के लिए दूर-दूर से दर्शक ऊंट गाड़ी लहडू और ट्रकों से आते थे। नगर के काफी लोग मैदान के चारों ओर लकड़ी के तख्त डालकर परिवार के साथ श्रीरामलीला देखते थे।

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