(झालाना आर टी ओ बनाम दलाल)* **झालाना आर टी ओ कार्यालय बना दलालों का अड्डा, एक करोड़ रुपया महीने की होती है रिश्वत की कमाई,* *अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा काली कमाई का खेल* *कई अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका*
**झालाना आर टी ओ कार्यालय बना दलालों का अड्डा, एक करोड़ रुपया महीने की होती है रिश्वत की कमाई,*
*अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहा काली कमाई का खेल*
*कई अधिकारियों की मिलीभगत होने की आशंका*
देश का दर्पण न्यूज की टीम का कैमरा देखते ही रिकॉर्ड रूम से व अन्य ब्लॉकों से भागने लगे कुर्सियों पर जमे दलाल
देश का दर्पण न्यूज
ब्यूरो रिपोर्ट
झालाना आर टी ओ कार्यालय
में काली कमाई का खेल खेलते हुए व अपने आकाओं को खुश करते हुए अफसरों की नाक के नीचे उन्ही के दफ्तर में दलाल बाबू बनकर सरकारी कुर्सी पर 20 से 25 दलाल बाबू बनकर कब्जा जमा कर लाखो रुपए की काली कमाई कर परिवहन विभाग को चपत लगा रहे है। झालाना आर टी ओ कार्यालय में देश का दर्पण न्यूज़ की टीम द्वारा जब इस मामले का स्टिंग ऑपरेशन कर इन काली कमाई करने वाले दलालों का पर्दाफाश किया गया। देश का दर्पण न्यूज़ टीम द्वारा रिकार्ड रूम व अन्य ब्लॉकों में जाकर देखा गया जिसमे रिकॉर्ड रूम में ग्राउंड फ्लोर पर दो दलाल जिनके असली नाम *रमेश व अनुज* कुर्सी पर काबिज मिले। संवाददाता द्वारा उनका नाम पूछने पर दोनो वहां से भागने लगे तो देश का दर्पण न्यूज़ के संवाददाता द्वारा उन्हें रोककर जानकारी जुटाई गई तो सामने आया कि जिसमे दोनो ही फर्जी बाबू बनकर लाखो रुपए हजम कर रहे है। पत्रकार टीम ने अंडर ग्राउंड फ्लोर पर स्टिंग किया तो वहां भी दो दलालों ने अपना अड्डा जमा रखा है जिनके नाम *पृथ्वी सिंह व राजू* जो दोनो वहां पर फाईलो के अंबार के बीच कुर्सियों पर बाबू की तरह काम करते हुए मिले। पत्रकारो की टीम को देखते ही दोनो ने भागने की कोशिश की देश का दर्पण टीम द्वारा उनको भी रोक कर जानकारी चाही गई तो दोनो ही घबरा कर अपना चेहरा छुपाने की कोशिश करने लगे इन सभी की आवाजे सुनकर द्वितीय मंजिल पर अवैध तरीके से बाबू बने तीन दलाल जो एक ही परिवार के है जिनका नाम इस प्रकार से है। *कपिल,पवन और उसका लड़का,* सिढ़ीयो से उतर कर जबरदस्त तेजी से मेन गेट से भागने लगे। जिनमे दो आदमी भागने में कामयाब हो गए लेकिन एक कपिल नाम का जो बाबू बन कर बैठा था को रोक कर जानकारी चाही तो वह सकपका गया और तरह-तरह के बहाने बनाने लगा। इस जगह पर दलालों की आवाजाही साफ नजर आई। लोग काफी देर तक फर्जी दलालों से आपस में बातचीत करते नजर आए। कार्यालय में अधिकारियों के कक्षों में सीसीटीवी की स्क्रीन लगी हैं, जिन पर गेट से अंदर आने वाले लोगों को साफ देखा जा सकता है। इन पर सभी पटलों पर हो रही गतिविधियां साफ नजर आती हैं, लेकिन अधिकारी या तो रिकॉर्डिंग देख ही नहीं रहे हैं या सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। कार्यालय में होमगार्डो की ड्यूटी भी लगी हुई है जो कि पूछताछ के बाद ही अंदर आने देते है लेकिन सब अपने काम से जी चुरा रहे है। लाइसेंस कक्ष में पूछताछ खिड़की होती हैं जहां आवेदक लाइसेंस समेत अन्य कार्यों के लिए पूछताछ करके जानकारी हासिल कर सकते हैं ड्राइविंग लाइसेंस को बनवाने के लिए लोगों को लगभग सिर्फ हजार रुपए खर्च करने की जरूरत होती है लेकिन दलालों के भरोसे चल रहे आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए तीन से चार गुना ज्यादा रकम देनी पड़ रही है। परिवहन विभाग के नियमानुसार लाइसेंस बनवाने के लिए सरकारी फीस आवेदन के साथ देनी पड़ती है। इसके बाद परीक्षा व टेस्ट दिलाने के लिए बाद लाइसेंस मिल जाता है, लेकिन यहां कुछ और ही खेल चल रहा है। आरटीओ के दलाल भोले-भाले लोगों को अपने चंगुल मे फंसाकर लाइसेंस बनवाने के लिए तीन से चार हजार रुपए वसूल कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि विभाग को इनकी जानकारी नहीं बल्कि परिवहन विभाग के ही चपरासी, बाबुओं और अधिकारियों व उच्चाधिकारियों से इनकी पूरी सेटिंग रहती है, कारण लाइसेंस बनवाने का सारा दारोमदार इन्हीं पर रहता है। देश का दर्पण न्यूज टीम की पड़ताल में आरटीओ में हो रही लापरवाही और लोगों की परेशानियां भी सामने आई है। दलालों में आत्मविश्वास इतना है कि वे खुलेआम अधिकारी-कर्मचारियों से सेटिंग के लिए रुपए के लेनदेने की बात करने से भी नहीं घबराते हैं। आरटीओ दफ्तर के आसपास मौजूद कुछ व्यक्तियों से लाइसेंस बनवाने की बात करने पर दो-तीन लोगों ने आसानी से लाइसेंस बनवाने का दावा किया। इन लोगों ने भरोसा दिलाया कि लाइसेंस के लिए परीक्षा में बैठने या ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं है, वह सब देख लेंगे ओर तुम्हे लाइसेंस मिल जाएगा। इन लोगों ने बताया कि उनकी विभाग के उच्चाधिकारियों से सेटिंग ऐसी है कि ज्यादा फीस देने पर तो जल्दी ही लाइसेंस मिल जाएगा। आरटीओ कार्यालय के पास खड़े एक एजेंट से लाइसेंस बनाने की बात करने पर उसने बताया कि वह सबसे कम दाम पर लाइसेंस बनाकर देता है। देश का दर्पण न्यूज टीम के संवाददाता ने ड्राइविंग नहीं आने की बात कही तो दलाल ने बताया कि इसके लिए अतिरिक्त रुपए देने पड़ेंगे। देश का दर्पण न्यूज के संवाददाता ने एजेंट से पूछा कि ऑनलाइन आवेदन करके भी लाइसेंस लिया जा सकता है। तो एजेंट ने बताया किया ऑनलाइन आवेदन स्वयं करने वालों का आवेदन कई दिनों तक रोककर रखा जाता है। जब तक एजेंट वहां जाकर उसे आगे बढ़ाने के लिए नहीं कहता है तब तक आवेदक का आवेदन ऐसे ही दफ्तर में पड़े रहता है। यदि आवेदन आगे बढ़ भी गया तो आवेदक को लिखित परीक्षा में कभी पास नहीं होने देते हैं। लिखित परीक्षा में पास होने के लिए भी एजेंट की सिफारिश जरूरी होती है। ताकि काली कमाई का खेल चलता रहे। वैसे तो सरकार और विभाग द्वारा विभाग में हर कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी गई है कि जनता का काम दलालों के जरिए नहीं बल्कि सीधे तौर पर किया जाना चाहिये। आरटीओ दफ्तर में चपरासी व बाबुओ का ही बोलबाला रहता है। यहाँ अधिकारीयों का रोल तो न के बराबर होता है। विभाग में सारा कुछ दलालो के हाथ में होता है। परीक्षा तक भी दलालों की देखरेख में होगी और टेस्ट भी। अधिकारी मौजूद तो जरूर होते हैं, लेकिन सारी बागडोर दलाल और परिवहन अधिकारी के नीचे के कर्मचारियों के हाथों में रहती है। लर्निंग लाइसेंस के लिए पहले ऑनलाइन आवेदन करना होता है। दस्तावेजों के साथ आवेदन जमा करने के बाद आवेदक का टेस्ट लिया जाएगा। टेस्ट में पास होने के तुरंत बाद लर्निंग लाइसेंस हाथ में होता है। फिर लाइट व्हीकल लाइसेंस के आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद विभाग द्वारा तय तिथि को वाहन चलाकर दिखाना होता है। टेस्ट में पास होने के बाद लाइसेंस मिल जाता है। सरकार व विभाग द्वारा सिर्फ दिखावे केे लिए ऑनलाइन लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन लिये जाते है इसके अलावा बिना एजेंट के आने पर इतनी बार घुमाया जाता है कि आप परिवहन कार्यालय के चक्कर लगाकर थक जाओगे। लेकिन एजेंट से लाइसेंस बनवाने पर काम तुरंत हो जाता है। परिवहन विभाग के भ्रष्टाचार से बचने के लिए लोग ऑनलाइन फॉर्म भर तो देते है लेकिन आरटीओ के चक्कर लगाते लगाते थक जाते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि लोग आवेदन तो कर देते हैं लेकिन उन्हें इतनी बार घुमाया जाता है कि वे थक कर अंत में दलाल से ही संपर्क करना मुनासिब समझते हैं। आरटीओ कार्यालय में भ्रष्टाचार की जडे़ खुद अधिकारी-कर्मचारी बने हुए है और मिली जानकारी के अनुसार खुद एजेंट कह रहे कि अंदर अधिकारी-कर्मचारियों को रुपये पहुंचते हैं। बिना ट्रायल के आपका लाईसेंस बनकर तैयार हो जाएगा। सिर्फ आपको गाड़ी में बैठकर फोटो खिंचवानी होती है बाकि सब काम हम कर देंगे।
बिना एजेंट जाने पर ट्रायल में फेल कर दिया जाता है, जो व्यक्ति एजेंट के माध्यम से जाते है तो गाड़ी लाइन से बाहर आने के बाद भी पास कर देते है। वहीं जो आनलाइन की ट्रायल की प्रक्रिया में भी बिना एजेंट पास नहीं हो सकते, जहां राज्य सरकार सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रयासरत है तो वहीं परिवहन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बिना ट्रायल के लाईसेंस बनाकर सड़क दुर्घटनाओं को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। देश का दर्पण न्यूज़ टीम द्वारा एसीपी को संपर्क किया गया कुछ पुलिस साथ में जाए और किन गलत कामों में लिप्त व्यक्तियों से पूछताछ करें एसीपी ने थाने पर जाने के लिए कहा पर वहां पर थाना अधिकारी नहीं होने से कोई सहयोग नहीं मिल पाया
*जयपुर झालाना आरटीओ ऑफिस में सीट पर आरटीओ कर्मचारी बनकर काम करने वाले कुछ व्यक्तियों के नाम इस प्रकार हैं,*
टैक्सी सेक्शन ब्लॉक ए, अतुल। आरए सेक्शन ब्लॉक डी संदीप, हेमिंग, जयप्रकाश (जेपी), शिवराज (बाबा), शुभम, ब्लॉक सी न्यू रजिस्ट्रेशन विश्राम, शाहिद, विश्वास, रिकॉर्ड रूम और स्टेशनरी बिलिंग, अंदर ग्राउंड रमेश और अनुज और राजू, ग्राउंड फ्लोर, प्रथम फ्लोर परमिट रूम कपिल और पवन, ब्लॉक बी बैकलॉग सेक्शन बत्रा और नीना आडवाणी
ए ब्लॉक बाबू भागचंद के पास अतुल
डी लॉक आरए सेक्शन राज सिंह और गौतम उपाध्याय के पास हेम सिंह और संदीप,
डी ब्लॉक रा स्टेशन गोविंद पुरोहित और गौरव शर्मा के पास जय प्रकाश, बाबा, शुभम
C. नया पंजीकरण ब्लॉक करें बाबू बोडू राम के पास विश्राम शाहिद विश्वास
: ब्लॉक बी चालान सेक्शन नीना और बत्रा इनके बाबू रा सेक्शन वाले ही है इनका काम पुरानी आरएसी केके अपडेट करना का है
रिकॉर्ड रूम और स्टेशनरी बिलिंग मी राजू का बाबू गौरव शर्मा, पृथ्वी सिंह का बाबू गोविंद पुरोहित, रमेश का बाबू राजसी जीएच और गौतम उपाध्याय, परमित सेक्शन पवन और कपिल का भाटिया बाबू
रिकॉर्ड रूम और स्टेशनरी बिलिंग मी राजू का बाबू गौरव शर्मा, पृथ्वी सिंह का बाबू गोविंद पुरोहित, रमेश का बाबू राजसी जीएच और गौतम उपाध्याय, परमित सेक्शन पवन और कपिल भाटिया (बाबू )
*देश के का दर्पण न्यूज़ टीम को देखकर दलालों की भीड़ इकट्ठी हो गई भीड़ में से जयसिंह ने हमारे संवादाता पर पत्थर चलाएं* हमारे संवाददाता के पीठ पर आकर लगा , आपको बताते चलें की RTO में दलालों की फौज है जो संवाददाता कवरेज के लिए पहुंचते हैं तो यह सब इकट्ठा होकर उनके साथ बदतमीजी करने के लिए पहुंच जाते हैं ऐसा ही नजारा कल देखने को मिला दलालों की बड़ी फौज ने देश का दर्पण न्यूज़ टीम को घेर लिया इसकी शिकायत टीम ने Rto को किया और बताया की भीड़ इकट्ठी हो रही है आप हमारी टीम को यहां से निकलने में सहायता करें इसके बाद RTO ने 5 पुलिस को साथ में भेजा तब देश का दर्पण न्यूज़ टीम आरटीओ से बाहर निकल पाए, जय सिंह और राजेंद्र पटेल ने इन सभी दलालों को इकट्ठा किया हमारी टीम के साथ मारपीट करने के लिए पहुंचे आरटीओ के द्वारा भेजे गए पुलिस की सहायता से हमारी टीम सकुशल वापस आ पाई
*आरटीओ से शिकायत करने पर उन्होंने बताया* कि मैं कुछ दिन पहले ही यहां ट्रांसफर होकर आया हूं मुझे इसकी जानकारी नहीं है पर आपने बताया है तो मैं इसकी जांच कर लूंगा और जो गलत पाए गए उन पर कार्रवाई भी करूंगा
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