जयपुर में गोविंद देव जी महाराज के मंदिर में अंकुट का आयोजन किया गया
जयपुर में गोविंद देव जी महाराज के मंदिर में अंकुट का आयोजन किया गया, जिसके में हजारों संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने भाग लिया, यहां पर भक्तों ने अंकुट प्रसाद ग्रहण किए, पुरानी मान्यता के अनुसार गोविंद देव जी महाराज दर्शन करने के बाद गोविंद देव जी महाराज के पास स्थित साक्षी महाराज का दर्शन करना होता है जो साक्षी हैं इस बात की की आपने दर्शन किया गोविंद जी महाराज का दर्शन करने के बाद अगर आप साक्षी महाराज का दर्शन करते हैं तो या फलदाई माना जाता है,
जयपुर का गोविंद देव महाराज का मंदिर भगवान कृष्ण का जयपुर का सबसे प्रसिद्ध बिना शिखर का मंदिर. है । यह चन्द्र महल के पूर्व में बने जय निवास बगीचे के मध्य अहाते में स्थित है।[1] संरक्षक देवता गोविंदजी की मुर्ति पहले वृंदावन के मंदिर में स्थापित थी जिसको सवाई जय सिंह द्वितीय ने अपने परिवार के देवता के रूप में यहाँ पुनः स्थापित किया था। भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र एवं मथुरा के राजा वज्रनाभ ने अपनी माता से सुने गए भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप के आधार पर तीन विग्रहों का निर्माण करवाया इनमें से पहला विग्रह है गोविंद देव जी का है दूसरा विग्रह जयपुर के ही श्री गोपीनाथ जी का है तथा तीसरा विग्रह है श्री मदन मोहन जी करौली का है वजरनाभ के माता के अनुसार श्री गोविंद देव का मुख, श्री गोपीनाथ का वक्ष, श्री मदन मोहन के चरण श्री कृष्ण के स्वरूप से मेल खाते हैं पहले यह तीनों विग्रह मथुरा में स्थापित थे किंतु 11वीं शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के भय से इन्हें जंगल में छिपा दिया गया 16 वी शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर उनके शिष्यों ने इन विग्रहों को खोज निकाला और मथुरा वृंदावन में स्थापित कर दिया सन 1669 में जब औरंगजेब ने मथुरा के समस्त मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया तो गौड़ीय संप्रदाय के पुजारी इन विग्रहों को उठाकर जयपुर भाग आए इन तीनों विग्रहों को जयपुर में ही स्थापित कर दिया गया गोविंद देव जी को जयपुर का शासक माना गया और वहां शासकीय मर्यादा लागू हुई
जयपुर गोविंद देव जी महाराज के मंदिर के प्रांगण में ही स्थित साक्षी महाराज का मंदिर है जो गोविंद देव जी मंदिर में स्थापित मूर्ति के समय ही स्थापित किया गया था, लोगों का मानना है की गोविंद देव जी महाराज का दर्शन करने के बाद आपको साक्षी महाराज का दर्शन करना अत्यंत आवश्यक है, फलदाई है आपके दर्शन की साक्षी साक्षी महाराज होते हैं इसलिए आप जब भी गोविंद देव जी महाराज का दर्शन करें तो साक्षी महाराज का दर्शन करें जो आपके दर्शन की साक्षी देते हैं,
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