मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार करती हुई सरेनी पुलिस, खुद ही मजिस्ट्रेट और खुद ही न्यायालय
मानवीय संवेदनाओं को दरकिनार करती हुई सरेनी पुलिस, खुद ही मजिस्ट्रेट और खुद ही न्यायालय
उद्योगपतियों के लिए मसीहा और गरीबों के भक्षक बन बैठे हैं सरेनी कोतवाल
ज्ञान प्रकाश तिवारी
देश का दर्पण
सरेनी रायबरेली::-- मामला सरेनी थाना क्षेत्र के धूरेमऊ गांव का है जहां मंगलवार की रात करीब 9:00 बजे धूरेमऊ निवासी संतोष दिक्षित पुत्र मदन दिक्षित अपने दरवाजे बाथरूम करने के लिए रोड के उस पार गए हुए थे और वापस अपने घर की तरफ आ रहे थे तभी तेज रफ्तार सरकारी राशन से लदा हुआ ओवरलोड ट्रक अनियंत्रित होकर उनके घर की तरफ रोड किनारे आकर टकरा गया जिससे युवक गिर गया और ट्रक युवक के पैरों के ऊपर से निकल गया गांव वालों ने किसी तरह उन्हें नजदीकी सीएससी पहुंचाया किंतु मामला गंभीर होने के कारण वहां से रायबरेली रिफर किया गया जहां से हालत नाज़ुक देख डाक्टरों ने ट्रमा सेन्टर लखनऊ के लिए रिफर कर दिया था वहां भी युवक की हालात गंभीर बताए जा रहे हैं। घटना के बाद रात में ही प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी पूरी रात और दूसरे दिन एफ आई आर नहीं लिखी गई थी ग्रामीणों के विरोध के बाद एफआईआर दर्ज की गई पुलिस आई भी तो खुद ही कानून खुद ही कोर्ट और खुद ही फैसला सुनाने वाली बन गई दूसरी गाड़ियों को बुला कर राशन खाली करा दिया गया और ट्रक मालिक के खड़े होने के बाद भी ड्राइवर का नाम नहीं पूछा गया विरोध करने पर पुलिस ने वर्दी का रुतबा दिखाया वहीं पर सैकड़ों लोगों ने सनातन धर्मी हिंदू क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सूचना दी राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदू चंद्रचूड़ामणि पत्रकारों को साथ में लेकर मौके पर पहुंचे और संतोष दीक्षित के इलाज करवाने की मांग की तथा राशन किस हिसाब से उतारा गया है यह सब पूछा जिस पर कोतवाल फोन पर ही आपे से बाहर हो गए और आवेश में आकर अभद्रता पूर्वक बातें करने लगे और कहां अगर आप लोग बदतमीजी करोगे तो हम तुमसे बड़े बदतमीज हैं उस पर सनातन धर्मी हिंदू क्रांति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि अगर किसी से गलती हुई है और उससे उसकी भरपाई करवाने के लिए कहा जा रहा है तो क्या यह बदतमीजी है और कड़े शब्दों में प्रशासन के खिलाफ विरोध करने के उपरांत तथा गांव वालों के सहयोग से ट्रक को रोककर रखा जा सका जहां प्रशासन को निष्पक्ष कार्य करना चाहिए वही सरेनी कोतवाल महाजनों के लिए मसीहा बने बैठे हैं घायल युवक संतोष दीक्षित के घर में कोई नहीं है उनकी पत्नी तथा 15 साल का लड़का है। लड़का अपने पिता को लिए लखनऊ में पड़ा हुआ है। गरीबी में जी रहे उस व्यक्ति के पास इलाज कराने तक के पैसे नहीं है किंतु प्रशासन भी अमीरों की झोली भरने में लगा है विरोध करने के बाद फिर राशन उसी ट्रक में वापस लादकर करीब रात 10:00 बजे सरेनी कोतवाली ले जाया गया जहां पर कोतवाल का कहना है कि राशन कोतवाली से खाली कर दिया जाएगा सरेनी की पुलिस खुद में ही कोर्ट और खुद में ही फैसला सुनाने वाले जज का कार्य कर रही है अब देखना यह है कि क्या संतोष दीक्षित के इलाज के लिए प्रशासन या ट्रक मालिक के अंदर इंसानियत जगती है या फिर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।
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