राजस्थान न्यूज़, पुजारी ने उल्टे पांव गांव के चक्कर लगा परचा बांचा खाचरियावास। कुली गांव पियावाले में करीब डेढ़ सौ सालों से हेड़ा की अनोखी परंपरा जारी है
पुजारी ने उल्टे पांव गांव के चक्कर लगा परचा बांचा
खाचरियावास। कुली गांव पियावाले में करीब डेढ़ सौ सालों से हेड़ा की अनोखी परंपरा जारी है। इस परंपरा में मंदिर के पुजारी उल्टे पाव दौड़कर पूरे गांव में चक्कर लगाते हैं। ग्रामीणों की मान्यता है हैड़ा परंपरा निभाने से गांव में खुशहाली आती है और अमन चैन कायम रहता है। मंगलवार को मंदिर के पुजारी बनवारी लाल स्वामी ने सैकड़ों ग्रामीणों की मौजूदगी में सुतलीदास बाबा के द्वारा दी गई आड़ लकड़ी की वस्तु को कमर में बांध कर उल्टा दौड़ना शुरू किया तो सैकड़ों लोग भी पुजारी के पीछे पीछे चलने लगे। इससे पूर्व पुजारी ने बालाजी मंदिर में पहुंचकर पूजा अर्चना की और सभी ग्रामीणों को पताशा और राई का प्रसाद दी। पुजारी ने आगामी 1 वर्ष का मानसून, रोग, दोष के बारे में परचा बयान किया। कुली गांव के निवासी नंद सिंह शेखावत ने बताया कि गांव में खेड़ा परंपरा लगभग डेढ़ सौ वर्षो से चली आ रही है। बताया जाता है कि कुली में पूर्व में सुतली दास बाबा तपस्या किया करते थे और उन्होंने अपने अंतिम समय में अपने परिजनों को आड़ रूपी लकड़ी की वस्तु देते हुए कहा था कि इसे कमर पर बांधकर गांव में उल्टा चक्कर लगाना। ऐसा करने से गांव पर किसी प्रकार की आपदा नहीं आएगी और खुशहाली रहेगी जो परंपरा आज भी बदस्तूर जारी है। इस परंपरा के निर्वहन में पूरे गांव के लोग सहयोग करते हैं सभी जाति और धर्म के लोग इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इससे पूर्व रात्रि में ग्रामीणों ने बालाजी मंदिर में जागरण किया व सुबह हवन पूजन के बाद खेड़ा की प्रक्रिया शुरू की जिसमें सैकड़ों की संख्या में ग्राम वासी उपस्थित रहे।
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